अगले साल होने वाले पंजाब चुनाव से पहले किसान संगठनों के 22 गुटों ने चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। किसान आंदोलन के दौरान इन संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलन में भाग लिया था। अब जब सरकार की तरफ से किसानों की मांगे माने जाने के बाद आंदोलन स्थगित हो चुका, तब 22 संगठन पंजाब चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
वहीं इसे लेकर एसकेएम ने स्पष्ट कहा है कि उसे राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे नेताओं पर फैसला करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने 15 जनवरी को एक बैठक बुलाई है। दूसरी ओर इन किसान संगठनों ने चंडीगढ़ में शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके इसकी घोषणा भी कर दी है। किसान नेताओं की ओर से जानकारी दी गई है कि पंजाब विधानसभा चुनाव में लड़ने के लिए इन्होंने एक संयुक्त समाज मोर्चा बनाया है, जिसके तले ये संगठन आगामी चुनाव लड़ेंगे। इसका नेतृत्व बलबीर सिंह राजेवाल करेंगे।
मिली जानकारी के अनुसार बीकेयू (डकौंडा) और बीकेयू (लखोवाल) सहित तीन संगठन जल्द ही तय करेंगे कि उन्हें इस पार्टी में शामिल होना है या नहीं। नई पार्टी सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। किसान नेताओं ने शनिवार को इसकी पुष्टि भी कर दी है। राजेवाल ने कहा कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद, पंजाब के लोगों से चुनाव लड़ने के लिए उन पर भारी दबाव था। पंजाब को ड्रग्स, बेरोजगारी और राज्य से युवाओं के पलायन जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा- हमें व्यवस्था बदलने की जरूरत है और हम लोगों से इस मोर्चा का समर्थन करने की अपील करते हैं”।
इससे पहले एसकेएम की कोर कमेटी के सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी भी एक राजनीतिक संगठन संयुक्त संघर्ष पार्टी बनाने का ऐलान कर चुके हैं। हालांकि एसकेएम से जुड़े कई किसान संगठनों ने चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है। इसमें कीर्ति किसान संघ, क्रांतिकारी किसान संघ, बीकेयू-क्रांतिकारी, दोआबा संघर्ष समिति, बीकेयू-सिद्धूपुर, किसान संघर्ष समिति और जय किसान आंदोलन चुनावी मैदान में उतरने के खिलाफ हैं।
वहीं राजनीति में उतरने के सवाल पर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि उसका राजनीति से कोई संबंध नहीं है, चुनाव प्रचार में एसकेएम के नाम का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। एसकेएम नेता योगेन्द्र यादव ने कहा कि एसकेएम के नाम का चुनाव में इस्तेमाल करना मोर्चे के अनुशासन का उल्लंघन होगा। संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल जो किसान संगठन या नेता चुनाव में भाग लेते हैं, वह मोर्चे में शामिल रह सकते हैं या नहीं, इसके बारे में संयुक्त किसान मोर्चा की 15 जनवरी की आगामी राष्ट्रीय बैठक में फैसला लिया जाएगा।