Rajasthan News: इस महीने की शुरुआत में राजस्थान के अलवर जिले के रघुनाथगढ़ गांव में कथित तौर पर सुबह-सुबह पुलिस की तलाशी के दौरान एक 25 दिन की बच्ची की मौत हो गई थी। स्थानीय लोगों द्वारा रजीदा और इमरान मेव के घर के बाहर आयोजित धरने पर गुस्सा साफ झलक रहा है। परिवार और प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बच्ची की मौत के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि घर में घुसने के बाद पुलिस कर्मियों ने बच्ची को कुचल दिया और इमरान को घसीटकर बाहर ले गए। पुलिस की तरफ से छापेमारी साइबर क्राइम के सिलसिले में की गई थी।
पुलिस ने इस घटना के संबंध में दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है। पांच पुलिसवालों को अलवर पुलिस हेडक्वार्टर में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है। साथ ही नौगांव थाने के पूर्व एसएचओ अजीत बडसरा को पोस्टिंग का इंतजार है। साथ ही अभी तक किसी भी पुलिसकर्मी को सस्पेंड नहीं किया गया है। पुलिस का यह कहना है कि पहले जांच पूरी हो जाए, उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मां ने लगाए आरोप
यह पूरा घटनाक्रम 2 मार्च सुबह 6 बजे के आसपास की है। तीन बच्चों की मां रजीदा ने बताया कि जब पुलिस टीम ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी तो वह और उनका परिवार सो रहे थे। जब उन्होंने दरवाजा खोला तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें धक्का देकर सीधा अंदर घुसा दिया और उनके पति के पास पहुंचे। मां ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मेरा नवजात शिशु उस बिस्तर के बगल में खाट पर सो रहा था, जहां मेरे पति हमारे दो बेटों के साथ सो रहे थे। जब दो पुलिस कर्मी कमरे में दाखिल हुए, तो मैंने उन्हें चेतावनी दी कि मेरा बच्चा खाट पर सो रहा है, लेकिन उन्होंने मेरी बात अनसुनी कर दी। जैसे ही पुलिस ने मेरे पति को घर से बाहर निकाला, मैं अपनी बच्ची की ओर दौड़ी और देखा कि उसकी नाक से खून बह रहा था और उसकी सांसें नहीं चल रही थीं।’
जबरन सादे कागज पर साइन करवा लिए- शौकीन
रजीदा ने बताया कि पुलिस उनके पति को पकड़कर ले गई और गांव के बॉर्डर के पास में जाकर छोड़ दिया। परिवार ने इस बात से बिल्कुल मना किया है कि उनका साइबर क्राइम से कोई लेना-देना नहीं था। इसके बाद परिवार के सदस्य शिकायत दर्ज कराने नौगांव पुलिस स्टेशन गए, जहां से घर पर छापा मारने वाले पुलिसकर्मी थे। रजीदा के बहनोई शौकीन मेव ने आरोप लगाया कि थाने में पुलिस ने शुरू में ऐसी किसी घटना से इनकार किया और उनसे जबरन एक सादे कागज पर साइन करवा लिए।
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शौकीन ने आरोप लगाया, ‘बाद में हमें पता चला कि उस कागज पर अधिकारियों ने लिखा था कि बच्ची पहले से ही बीमार थी और यही उसकी मौत का कारण था। हमने कभी इसकी सहमति नहीं दी, लेकिन उन्होंने अपने अधिकारियों को बचाने के लिए यह सब किया।’ अलवर के एसपी संजीव नैन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें पुलिस द्वारा परिवार से ऐसे किसी कागज पर साइन कराने की जानकारी नहीं है और एडिशनल एसपी अतुल साहू ने भी इस पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि मामले की जांच चल रही है।
पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
पुलिस थाने में परिवार के लोगों की कोशिश कामयाब नहीं हो पाई और फिर वह बच्ची के शव को लेकर एसपी के आवास पर पहुंचे। शाम को कांस्टेबल गिरधारी और जगवीर के खिलाफ बीएनएस धारा 103(1) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। बाद में शव का पोस्टमार्टम कराया गया और शव को गांव के कब्रिस्तान में दफना दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि उन्हें अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है।
साइबर धोखाधड़ी पर पुलिस कस रही नकेल
बच्ची की मौत वाली सुबह पुलिस ने कथित तौर पर साइबर अपराधियों की तलाश में गांव के घरों में छापे मारे। राजस्थान का मेवात क्षेत्र साइबर क्राइम का सेंटर माना जाता है। इस क्षेत्र के लोगों के खिलाफ पूरे भारत में सैकड़ों मामले दर्ज किए गए हैं। एडिशनल एसपी तेजपाल सिंह ने बताया कि साइबर क्राइम में संलिप्त पाए जाने के बाद पुलिस ने 2022 से अब तक 1,51,544 सिम कार्ड ब्लॉक किए हैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र में साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए वे साइबर अपराधियों की तलाश में लगातार छापेमारी कर रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार इमरान और रजीदा के घर पर की गई छापेमारी इसी अभियान का हिस्सा थी।
बच्ची की मौत के बाद पूरे गांव में गुस्सा है। परिवार की मदद कर रहे कार्यकर्ता मौलाना ताहिर ने बताया कि गांव के लोग पुलिस स्टेशन के अधिकारियों को सस्पेंड करने और मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। ताहिर ने कहा कि पुलिस और प्रशासन यह चाहता है कि कुछ दिनों में मामला शांत हो जाए और फिर सभी दोषियों को छोड़ दिया जाए।
पीड़ित परिवार के घर के बाहर धरना-प्रदर्शन
करीब एक हफ्ते गुजर गया है और पीड़ित परिवार के घर के बाहर धरना-प्रदर्शन जारी है। इतना ही नहीं प्रशासन का कहना है कि अगर सस्पेंड और गिरफ्तार नहीं किया गया तो वह सड़कों पर उतर जाएंगे और वहां पर प्रदर्शन करेंगे। एसपी नैन ने कहा कि जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। नैन ने कहा कि यह पूरी जांच भिवाड़ी के एडिशनल एसपी करेंगे। जांच की रिपोर्ट आने के बाद अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेंगे। अलवर के प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर सुनील चौहान ने कहा कि पोस्टमार्टम और फोरेंसिक रिपोर्ट आने बाकी है और इनके बाद ही बच्ची की मौत का कारण साफ हो सकेगा।
घटना के बाद सियासी तूफान
इस घटना के बाद सियासी तूफान भी आ गया है। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने अलवर जिले का दौरा किया था और सरकार पर साइबर ठगी के नाम पर निर्दोष लोगों को परेशान करने का आरोप लगाया। जूली ने कहा कि राज्य विधानसभा में सरकार ने आश्वासन दिया था कि वे साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी पैसे ऐंठने के लिए निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर रहे हैं। पुलिस इसी कारण से रघुनाथपुरा में पीड़ित के घर गई और एक बच्चे की हत्या कर दी। बीजेपी इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है और विपक्ष के दबाव के बाद ही जिले के बाहर के अधिकारियों को मामले की जांच के लिए नियुक्त किया गया। टीचर का कहना माना, फिर भी हुई बच्ची की पिटाई, हाथ में फ्रैक्चर, मंत्री के पास पहुंचा मामला