राहत शिविरों में शरण लिए बाढ़ पीड़ितों को भोजन तो किसी तरह मिल रहा है। मगर पशु चारे का घोर अभाव है। चारों ओर बाढ़ से घिरे पानी की वजह से प्रशासन भी लाचार नजर आ रहा है। हालांकि भागलपुर के ज़िलाधीश प्रणब कुमार ने राहत शिविरों का जायजा लिया है। एसएसपी आशीष भारती और सिटी एसपी सुशांत कुमार सरोज ने खुद नाथनगर के शिविर में राहत सामग्री का बितरण किया है। मगर हालात अभी भी ठीक नहीं है। खासकर पशु चारे की। आठ लोगों की मौतें दीवार गिरने से मौतें हो चुकी है। दो पीड़ित की ट्रेन की चपेट में आने से जान चली गई।
इस सिलसिले में जानकारी लेने इस संवाददाता ने शिविरों का मुआयना किया। टीएनबी कॉलेजिएट स्कूल मैदान में करीब दो सौ बाढ़ पीड़ित खुले मैदान में रह रहे है। परशुराम मंडल कहते है कि प्लास्टिक और बांस – बल्ले खुद जुगाड़ कर छत तैयार की है। यहां करीब पांच सौ पशुओं के लिए चारे का प्रशासनिक तौर पर अबतक इंतजाम नहीं हुआ है। पीड़ित सुखदेव महतो कहते है कि पशुओं के चारे की घोर दिक्कत है।
इत्तफाक से पशुपालन महकमा के रीजनल डायरेक्टर डा. अश्विनी कुमार से शिविर में ही मुलाकात हो गई। उन्होंने भी कबूला कि चारे का अभी तक वितरण नहीं हो पाया है। वे कहते है कि चारे का इंतजाम किया जा रहा है। चारे के कुछ बोरे यहां जुगाड़ गाड़ी से भेजे गए है। मगर ये नाकाफी है। पर्याप्त मात्रा में इंतजाम होने के बाद ही वितरित किया जाएगा। नहीं तो अफरा-तफरी मच जाएगी। जाहिर है भूखे मवेशियों की हालत देख इनके पालकों की फिक्र बढ़नी लाजमी है।
इस शिविर में चवन्निया (शंकरपुर) दियारा के बाढ़ पीड़ित शरण लिए हुए है। नाथनगर, हवाई अड्डा, सबौर , टिल्लाकोठी बगैरह शिविरों का भी कमोवेश यही हाल है। इन शिविरों में करीबन दस हजार से ज्यादा मवेशी है। लेकिन प्रभावित मवेशियों की संख्या करीब पचास हजार बताई जा रही है। इन शिविरों में न तो तरीके से महिलाओं के लिए शौच, स्नान की अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। स्वास्थ्य और स्वच्छता का तो नामोनिशान नहीं है। सरकारी भोजन के अलावे कुछ सामाजिक संस्थाओं के खाने के पैकेट इन्हें मिल रहे है। फिर भी नाकाफी है।
दरअसल भागलपुर के पंद्रह प्रखंडों के 265 गांवों की ढाई लाख आवादी बाढ़ से बुरी तरह तबाह है। गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 77 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। सहायक नदियां भी उफान मार रही है। ये लोग बेघर हो जहां- तहां शरण लिए है। सुलतानगंज से अकबरनगर के बीच लोग रेल पटरियों पर शरण लिए है। नतीजतन मंगलवार को मां- बेटे अंजू देवी और विक्रम कुमार ट्रेन की चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठे। यह खतरा रोजाना बना है। गंगानदी का पानी ज्यों का त्यों है। बल्कि जलस्तर बढ़ा है। मौसम महकमा ने बुधवार को तीन रोज फिर बारिश होने का संकेत दिया है। नतीजतन बाढ़ पीड़ित सहमे है।
हालांकि इन शिविरों का ज़िलाधीश प्रणब कुमार ने दौरा कर जरूरी हिदायतें दी है। मसलन रोजाना सुबह पीड़ितों को 11 बजे भोजन मुहैया कराने, शिक्षकों को इन शिविरों में जाकर बच्चों को पढ़ाने, नियंत्रण कक्ष स्थापित करने , नगर निगम और पीएचईडी महकमा के जरिए टैंकरों से पेयजल मुहैया कराने, पशु पालन महकमा को मवेशियों के लिए रोजाना चारा देने का आदेश दिया है।

