Manjinder Singh Sirsa: राजौरी गार्डन के विधायक सिख मनजिंदर सिंह सिरसा को दिल्ली में कैबिनेट मंत्री बनाए जाने को राजनीतिक हलकों में पंजाब में वोटर्स का समर्थन जीतने के बीजेपी के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। इस महीने की शुरुआत में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में दो अन्य सिख, गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली और जंगपुरा से तरविंदर सिंह मारवाह बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर विजयी हुए हैं।
मनजिंदर सिंह नियुक्ति के बाद पंजाब कांग्रेस के विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने आप पर हमला करते हुए कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी एक सिख को मंत्री के तौर पर प्रतिनिधित्व दे सकती है तो मैं अरविंद केजरीवाल से यह साफ करने का आग्रह करता हूं कि उन्होंने अपनी सरकार के 10 सालों के दौरान एक सिख को मंत्री के तौर पर शामिल क्यों नहीं किया, जबकि तथ्य यह है कि अल्पसंख्यक समुदाय होने के अलावा सिख दिल्ली में अहम भूमिका निभाते हैं।
पंजाब में वोटर्स धीरे-धीरे बीजेपी से जुड़ रहे
बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य हरजीत सिंह ग्रेवाल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘पंजाब के मतदाता हर एक घटनाक्रम को बहुत उत्सुकता से देख रहे हैं और वे देख रहे हैं कि बीजेपी दिल्ली सरकार में सिखों को किस तरह प्रतिनिधित्व दे रही है। शिरोमणि अकाली दल की गैरमौजूदगी में, बीजेपी ने दिल्ली में बेहतर प्रदर्शन किया और सिख मतदाता सीधे उससे जुड़े। पंजाब में मतदाता भी धीरे-धीरे बीजेपी से जुड़ रहे हैं और 2027 के पंजाब विधानसभा चुनावों में इसका परिणाम सभी को दिखाई देगा।’
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पंजाब को एक मजबूत संदेश दिया
पंजाब बीजेपी के प्रवक्ता प्रीतपाल सिंह बलियावाल ने कहा, ‘दिल्ली या उत्तर प्रदेश में सिखों को दिया गया प्रतिनिधित्व निश्चित तौर पर पंजाब में एक मजबूत संदेश भेज रहा है। दिल्ली के सिखों के पास कई मुद्दे हैं। अब विधानसभा में उनकी आवाज बुलंद हो गई है। बीजेपी ने समुदाय के लिए कई काम किए हैं जैसे करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलना और भारतीय दूतावासों में वीर बाल दिवस मनाना आदि। पंजाब के लोग सब कुछ देख रहे हैं और इसका निश्चित तौर पर असर होगा।’
हालांकि, शिरोमणि अकाली दल के दिल्ली के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा कि दिल्ली में कैबिनेट मंत्री के तौर पर सिरसा की नियुक्त का पंजाब में कोई असर नहीं पड़ेगा। चर्चा का विषय बने सिरसा खुद भी कुछ समय पहले तक अकाली दल में थे। दिसंबर 2021 तक वे नियमित तौर पर अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल और प्रकाश सिंह बादल के साथ मंच शेयर करते रहे।
मनजिंदर सिंह सिरसा ने 2013 में जीत दर्ज की थी
मनजिंदर सिंह सिरसा ने साल 2013 में शिरोमणि अकाली दल के तौर पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2015 में आप के जरनैल सिंह से सीट हार गए थे। हालांकि, 2017 में जरनैल सिंह ने प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ पंजाब के लांबी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए राजौरी गार्डन से इस्तीफा दे दिया। 2017 में राजौरी गार्डन में हुए परिणामी उपचुनाव में सिरसा ने 14,000 से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की। उन्होंने दोनों दलों के बीच गठबंधन समझौते के तहत, शिअद में होने के बावजूद बीजेपी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा था। सिरसा को 2013, 2017 और फिर 2021 में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। बीजेपी में जाने के बाद वह अगस्त 2023 में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बने।
शिअद का शीर्ष नेतृत्व बीजेपी में चला गया
बीजेपी के एक नेता ने बताया, ‘सिरसा के पार्टी में शामिल होने के बाद दिल्ली में शिअद के लगभग सभी शीर्ष नेतृत्व बीजेपी में चले गए। शायद यही वजह है कि शिअद इस बार दिल्ली चुनाव से दूर रही। इससे पहले, वे चार सीटों पर बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ते थे।’ इस बीच, पंजाब बीजेपी यूनिट में कई संगठनात्मक बदलाव होने की संभावना है क्योंकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अपना इस्तीफा दे दिया है। बीजेपी की पूर्व सहयोगी शिअद भी पंजाब में अंदरूनी कलह से जूझ रही है, लेकिन यह तो समय ही बताएगा कि भगवा पार्टी इस राजनीतिक मंथन से कितना लाभ उठा पाती है। जो पद कभी था ही नहीं, 20 महीने से उस विभाग का मंत्री…
