इस बार गर्मी के साथ बिजली बिल भी लोगों के पसीने छुड़ा सकते हैं। उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें घरेलू बिजली दरों में 23 फीसदी तक बढ़ोतरी की पेशकश की गई है। बिजली कंपनियों ने इसे लेकर एक प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में पेश किया है। इसे लेकर मई-जून तक आयोग अपना फैसला सुनाएगा। उधर, उपभोक्ताओं ने बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर अपना विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि बिजली की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव असंवैधानिक है।
बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर मई-जून तक आएगा फैसला
उत्तर प्रदेश में बिजली के दाम 23 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। बिजली कंपनियों ने सोमवार को विद्युत नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता और टैरिफ दाखिल किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। अब बिजली कंपिनियों और उपभोक्ताओं को सुनने के बाद मई-जून में आयोग अपना फैसला सुना सकता है। इसे लेकर उपभोक्ता परिषद विरोध कर रहा है।
बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग को घरेलू बिजली दरों में बढ़तरी का प्रस्ताव भेजा है। इसमें घरेलू बिजली की दरों में 18 से 23 फीसदी तक बढ़ोतरी की पेशकश की गई है। वहीं, वाणिज्य, कृषि और बीपीएल श्रेणी में भी बिजली दरों में इजाफी किया जा सकता है। प्रस्ताव में वाणिज्य में 12, कृषि में 10-12 और बीपीएल श्रेणी में 1 फीसदा तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। आयोग प्रस्ताव पर उपभोक्ता और बिजली कंपनियों को सुनने के बाद मई-जून तक अपना फैसला सुना सकता है। पिछले तीन सालों में बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं की गई है।
हो रहा विरोध
वहीं, बिजली की दरों में बढ़ोतरी को लेकर विरोध किया जा रहा है। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पूरी तरह से असंवैधानिक है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं का खुद बिजली विभाग पर 25 हजार 133 करोड़ रुपये सरप्लस है। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग पहले 25 हजार 133 करोड़ रुपये की बिजली दरों में छूट दे, उसके बाद दरों को बढ़ाने की बात हो। उन्होंने यह भी कहा कि विद्युत नियामक आयोग में बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव का राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद पूरी तरह से विरोध करेगा।