देश में परीक्षा के तनाव के कारण बड़ी संख्या में छात्र आत्महत्या करते हैं, इसके साथ ही अपनी जीवनलीला को समाप्त करने का दूसरा बड़ा कारण दिल का टूटना है। मनोचिकित्सक श्याम भट का दावा है कि देश में परीक्षाओं की वजह से होने वाले तनाव के बाद आत्महत्या करने का सबसे बड़ा कारण दिल का टूटना है। श्याम करीब एक साल पहले तब सुर्खियों में आए थे जब अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने टीवी पर एक साक्षात्कार में अपने संघर्ष के दौर में अवसादग्रस्त होने का जिक्र किया था। भट ने कहा, भारत में हर साल 1.35 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। इनमें से करीब 20,000 लोगों के आत्महत्या करने का कारण दिल का टूटना होता है।’ उन्होंने बहुत ही दर्दनाक दौर से गुजरने के दौरान मनुष्य के दिमाग और शरीर पर पड़ने वाले असर को बयां करती एक किताब लिखी है। किताब में इस स्थिति से निपटने के तरीके भी सुझाए गए हैं।
न्यूजीलैंड में जन्में एमबीबीएस डाक्टर भट ब्रिटेन और अमेरिका में कार्य करने के बाद अब बेंगलुरू में अपनी मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी किताब के लिए प्यार और दिल टूटने जैसा विषय इसलिए चुना है क्योंकि लोग किसी डाक्टर से इस विषय पर चर्चा करने की उम्मीद नहीं करते। साल की शुरुआत में वह दीपिका पादुकोण के साथ ‘लिव लव लाफ फाउंडेशन’ की स्थापना करने के लिए जुड़े थे।
अवसाद की समस्या से निपटने के लिए बनाए गए इस फाउंडेशन की शुरुआत के मौके पर ही एक अतिथि ने दिल टूटने के बारे में बात की। डाक्टर श्याम भट ने कहा कि कालेजों और संस्थानों में जाते हुए उन्होंने पाया कि सलाह देने वाले दिल टूटने पर चर्चा करते थे लेकिन उसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग इसके कारण आत्महत्या कर रहे थे या अवसाद में थे। भट ने अपनी युवावस्था में हुए प्यार और फिर उसे खोने के अपने अनुभवों को किताब में बयां करने की कोशिश की है। उनकी किताब ‘हाऊ टू हील योर ब्रोकन हार्ट : ए साइकायट्रिस्ट्स गाइड टू डीलिंग विथ हार्टब्रेक’ जैगरनॉट एप्प पर मौजूद है।
किताब के जरिए, दिल टूटने के बाद खुश रहने, खुद को मजबूत और अधिक पूर्ण महसूस करने और भविष्य में एक बार फिर प्यार करने और बेहतर रिश्ता कायम करने के लिए साहस देने की कोशिश की गई है।
डाक्टर भट ने कहा कि भारत में करीब 40 फीसद लोगों में सेरोटोनिन वाहक जीन का एक प्रकार पाया जाता है जिससे चलते वे अवसाद की चपेट में आ सकते हैं। भट ने लिखा, ‘इसका मतलब है कि दिल टूटने जैसे भावनात्मक तनाव का सामना करने की परिस्थिति में हमारे देश के करीब 40 फीसद लोग अवसाद की चपेट में आ सकते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं और पुरुषों का तनाव का सामना करने का तरीका अलग-अलग होता है।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि इस बारे में पर्याप्त आंकड़े मौजूद नहीं हैं लेकिन मेरा अपना अनुभव है कि पुरुषों पर दिल टूटने का असर महिलाओं की अपेक्षा अधिक होता है और इसलिए वे उनकी तुलना में अवसाद के अधिक शिकार होते हैं।’