Earthquake Kargil in Leh Ladakh News: सोमवार की सुबह लद्दाख में कारगिल की धरती जोरदार भूकंप आया। सुबह लगभग 9:30 बजे भूकंप की वजह से कारगिल की धरती हिलने लगी। हालांकि इस भूकंप में किसी भी तरह के जान और माल का नुकसान नहीं हुआ। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने बताया इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.3 थी। भूकंप का केंद्र जमीन से लगभग 10 किलोमीटर नीचे था। ये कारगिल से 151 किलोमीटर उत्तर पश्चिम की दिशा में था। एनसीएस ने भूकंप के बारे में ट्वीट करके जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “करगिल, लद्दाख के 64 किमी डब्ल्यूएनडब्ल्यू में सुबह करीब साढ़े नौ बजे 4.3 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप की गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी।”

इसके एक दिन पहले दक्षिण-पूर्वी ताइवान जोरदार भूकंप के झटके आए थे, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.6 मापी गई थी। यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने इस बात की जानकारी दी थी कि दक्षिण-पश्चिम ताइवान के ताइतुंग शहर के पास 6.6 तीव्रता का भूकंप आया है। इस भूकंप का केंद्र ताइतुंग शहर से 27 किलोमीटर दूर था। हालांकि इतना तेज भूकंप होने के बावजूद वहां भी किसी तरह की जान और माल का नुकसान नहीं हुआ था।

क्यों आते हैं भूकंप?

पृथ्वी के अंदर 7 घूमती हुई प्लेट्स हैं ये लगातार घूमती रहती हैं। इसके दौरान ये प्लेटे जहां टकराती हैं वो जोन फॉल्ट लाइन कहा जाता है। लगातार टकराने की वजह से जब प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं तो ये टूटने लगती हैं ऐसे में वहां से निकलने वाली एनर्जीबार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में ऊर्जा बाहर आने के लिए रास्ता ढूंढती है। जिसकी वजह से भूकंप आता है। इन प्लेटों को टेक्‍टॉनिक प्‍लेट कहते हैं।

टेक्टॉनिक प्लेट की वजह से ज्वालामुखी फटने की आशंका रहती है

टेक्टॉनिक प्लेट की वजह से भूकंप के अलावा जहां ज्‍वालामुखी होता है वहां भी विस्‍फोट की आशंका बनी रहती है। इस फॉल्‍ट को लेकर कई मान्यताएं हैं। इनमें स्‍ट्राइक-स्लिप फॉल्‍ट, नॉर्मल फॉल्‍ट, थ्रस्‍ट फॉल्‍ट लेफ्ट लेटरल स्‍ट्राइक-स्लिप फॉल्‍ट और राइट लेटरल स्‍ट्राइक-स्लिप फॉल्‍ट प्रमुख हैं। इनकी वजह से ही धरती कांपने लगती है। प्रशांत महासागर क्षेत्र के अलावा हिंद महासगर के कुछ चुनिंदा क्षेत्र भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माने जाते हैं। यहां पर कभी भी भूकंप आते रहते हैं।