कठुआ के बर्बर सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड की जांच के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा की ओर से गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) में श्वेतांबरी शर्मा एकमात्र महिला पुलिस अधिकारी के तौर पर शामिल हैं। श्वेतांबरी जम्मू-कश्मीर पुलिस में डीएसपी के तौर पर तैनात हैं। उन्होंने जांच के दौरान आई कठिनाइयों का भी जिक्र किया। डीएसपी श्वेतांबरी ने बताया कि ज्यादातर आरोपी ब्राह्मण थे। उन्होंने कहा, ‘आरोपियों ने विभिन्न माध्यमों से अपने ब्राह्मण होने की बात पहुंचा कर मुझे प्रभावित करने की कोशिश की थी। उनका कहना था कि मैं और वे एक ही धर्म और जाति के हैं, लिहाजा उन्हें एक मुस्लिम लड़की से दुष्कर्म और उसकी हत्या का दोषी न ठहराया जाए। मैंने उन्हें बताया था कि जम्मू-कश्मीर पुलिस में एक अधिकारी होने के नाते मेरा कोई धर्म नहीं है…मेरा एकमात्र धर्म मेरी पुलिस की वर्दी है। सारे तरीके फेल होने पर आरोपियों के परिजनों और उनसे सहानुभूति रखने वालों ने मुझे डराना और ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया था।’ निचली अदालत में सोमवार (16 अप्रैल) से इस मामले की सुनवाई भी शुरू हो गई है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजीव गुप्ता की अदालत ने पुसि को चार्जशीट की कॉपी आरोपियों को सौंपने का आदेश दिया। अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।
आरोपी नार्को टेस्ट के लिए तैयार: बर्बर घटना के मास्टरमाइंड माने जा रहे सांजी राम ने अदालत से सभी आरोपियों का नार्को टेस्ट कराने का आग्रह किया। इससे अभियोजन पक्ष भी चौंक गया। सांजी राम ने कहा कि वे सब इसके लिए तैयार हैं और इसको लेकर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। बता दें कि इस मामले के नाबालिग आरोपी के खिलाफ किशोर न्यायालय में मामला चलेगा। वहीं, पीड़िता के पिता ने सुप्रीम कोर्ट से केस को जम्मू से चंडीगढ़ स्थानांतरित करने की गुहार लगाई है। कठुआ मामले की पैरवी करने वाली अधिवक्ता दीपिका सिंह राजावत ने भी शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कठुआ गैंगरेप की पैरवी करने को लेकर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ दोनों याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
पुलिसकर्मियों ने ली थी घूस: श्वेतांबरी शर्मा ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि मामले को दबाने के लिए हीरानगर थाने में तैनात पुलिसकर्मियों ने घूस लिया है तो इसको लेकर उन्हें बहुत निराशा हुई थी। श्वेतांबरी के अनुसार, उन्होंने इस मामले को नवरात्र के समय सुलझाया, इसलिए वह मानती हैं कि उनके सिर पर मांग दुर्गा का हाथ है। उन्होंने पुलिस का वर्दी को अपना धर्म बताया। आठ साल की बच्ची इस साल 10 जनवरी को हीरानगर के रसना गांव (कठुआ जिला) से अचानक लापता हो गई थी। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में इसको लेकर हंगामा भी हुआ था। पुलिस ने 17 जनवरी को बच्ची की लाश बरामद की थी।