दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले में एक छोटी से टाइपो की गलती होने के बाद कथित तौर पर एक दोहरे हत्याकांड के दोषी को रिहा कर दिया है। अपराधी गवाह को धमकी देने के बाद दर्ज हुए केस के बाद से करीब तीन महीने से फरार है। यह गड़बड़ उस वक्त हुई जब पिछले साल 24 दिंसबर को जस्टिस जीएस सीस्तानी और जस्टिस संगीता ढींगरा की बेंच के फैसले में त्रुटि के कारण आजीवन कारावास की सजा काट रहे जितेंद्र उर्फ कल्ला रिहा हो गया। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 24 दिसंबर को हाई कोर्ट की बेंच ने 16 साल जेल में व्यतीत करने के बाद रिहा कर दिया था। बाद में 22 मार्च को कोर्ट ने गलती को स्वीकार करते हुए फैसले को वापस ले लिया। कोर्ट ने माना कि फैसले में टाइपोग्राफिक त्रुटि हुई। इसके साथ ही कोर्ट ने दोषी को पकड़ने के निर्देश दिए हैं।

जितेंद्र को अनिल भड़ाना और इस केस में चश्मदीद गवाह के पिता को गोली मारने के मामले में दोषी ठहराया गया था। 10 मार्च 1999 को जितेंद्र ने एक शादी समारोह के दौरान सत्यवती कॉलेज स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष अनिल भड़ाना की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके अगले दिन जितेंद्र ने इस मामले में चश्मदीद गवाह, जिसने की इस हत्या के बारे में पुलिस को बताया था, उसको मारने के लिए घर पहुंचा। गवाह के घर पर नहीं मिलने के कारण जितेंद्र ने उसके पिता को गोली मार दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। मामले की सुनवाई करते हुए साल 2013 में ट्रायल कोर्ट ने दोनों केस में दोषी ठहराया था। पहले मामले में जितेंद्र को 30 साल की सजा और दूसरे मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। जिसके खिलाफ उसने हाई कोर्ट में अपील की थी। जिसके बाद उसे गलती से रिहा कर दिया गया।

इस मामले में हाई कोर्ट की बेंच ने त्रुटि की बात मानते हुए पुलिस कमिश्नर को हत्या के मामले में दोषी जितेंद्र को गिरफ्तार करने का आदेश जारी किया है। साथ ही उच्च न्यायालय ने शिकायतकर्ताओं और गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने के भी निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि हमने पुलिस को दोषी को जल्द से जल्द पुलिस कस्टडी में लेने के लिए कहा है। हालांकि दोहरे हत्याकांड का दोषी अभी फरार है।