वह अपनी पत्नी के लिए कुछ कपड़ों लेकर वापस लौटा था। लेकिन वह अपने मानसिक रूप से कमजोर बेटे के लिए कुछ नहीं लेकर आया था। इसलिए वह अपने बेटे की पसंदीदा मिठाई लेने मार्केट रविवार को शाम चार बजे निकाल था। कुछ घंटों बाद ही उसे गोली मार दी गई और अस्पताल ले जाते वक्त उसकी मौत हो गई। अब सवाल यह पैदा होता है कि उसे गोली किसने मारी?
28 वर्षीय राजमिस्री सलाम लश्कर कुछ महीने पहले ही केरल शिफ्ट हुआ था। उसके बाद वह पहली बार कोसफल गांव में अपने पैतृक घर में अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए आया था। 22 वर्षीय पत्नी फातिमा बेगम ने बताया, ‘शाम के चार बजे थे और आसमान साफ था। उन्होंने मेरे लिए कुछ कपड़े खरीदे थे, लेकिन वह अपने बेटे फरहान के लिए कुछ नहीं लेकर आए, जिसका उन्हें पछतावा हो रहा था। इसलिए वह अपने भाई के साथ कुछ मिठाइयां लेने चले गए। लेकिन वापस नहीं लौटे।’
सलाम और उनके भाई अब्दुल सलाम लश्कर मार्केट की ओर जा रहे थे। उन्हें नहीं पता था जो भीड़ को वो पीछे छोड़कर वह गुस्साई हुई भीड़ में तब्दील हो गई है। यह भीड़ जानवरों के व्यापारी अब्दुल रऊफ लश्कर के हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। अब्दुल ने बताया, ‘हम लोग मार्केट से लौट रहे थे। गली में हजारों लोग थे। भीड़ में मैं मेरे भाई से बिछुड़ गया। तभी वहां फायरिंग की आवाज सुनाई दी और मैंने अचानक सुना कि गोली मेरे गांव के किसी युवक को लगी है। मैं प्रार्थना कर रहा था कि जिन्हें गोली लगी है वो मेरे भाई ना हो।’
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तभी सलाम के घायल होने की खबर हमारे गांव तक पहुंची। 6.15 बजे उनके चाचा साहिदुल्लाह लश्कर को सलाम बेहोश मिले। पीछे से लगी गोली छाती तो पार कर गई थी, जिससे खून बह रहा था। सलाम ने अपने अंकल को बताया कि जब भीड़ से अलग होने की कोशिश कर रहा था, तभी पुलिस ने उसे गोली मार दी। शाहिदुल्लाह ने बताया, ‘उसने मुझे बताया कि वह पुलिस स्टेशन से दूर भाग रहा था, तभी पीछे से उसे गोली मार दी गई। वह रेंग रहा था। हम लोग उसे अस्पताल ले जा रहे थे। एक प्राइवेट एंबुलेंस ली और सलाम को प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया। लेकिन डॉक्टरों ने वही बताया जिसका परिवार को डर था। डॉक्टरों ने बताया कि एंबुलेंस के पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई थी।’
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रविवार देर रात डरे हुए परिवार को उनका सबसे बड़ा बेटा वापस मिला गया। अब उसका चेहरा नीला पड़ा हुआ था और छाती पर घाव था, जो कि काला पड़ चुका था। लेकिन पुलिस जो कि और हिंसा होने से डरी हुई थी गांव में शव भी लौटाने नहीं आई। सलाम के चाचा ने बताया, ‘इसलिए हमने शव के साथ पुलिस स्टेशन जाने का फैसला किया। हमें पता था कि वे कहेंगे कि अभी जांच पूरी नहीं हुई है क्योंकि शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। लेकिन अब हमें नहीं पता कि वे कब शव वापस लौटाएंगे।’
मंगलवार को गांव में ईद नहीं मनाई जाएगी। दुकानें बंद हैं। फरहान जिसे उसकी मां ने शाम को बताया था कि उसके पिता उसके लिए मिठाई लेने गए हैं, अपनी मां की ओर उम्मीद से देख रहा है।
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