उत्तराखंड में शनिवार की रात हुई भारी बारिश तबाही का मंजर लेकर आई जिसमें चार लोगों की जान गई और 13 लापता हो गए। देहरादून के माल देवता क्षेत्र में बादल फटने से भारी तबाही मची। देहरादून जिले में सौंग नदी और मालदेवता में दो पुल टूट गए। देहरादून के रायपुर से जौलीग्रांट हवाई अड्डे को जाने वाले रास्ते पर एक पुल भारी बारिश के तेज बहाव में बह गया। यह पुल चार साल पहले ही बनकर तैयार हुआ था। देहरादून का जौलीग्रांट हवाई अड्डा लबालब भर गया था। उत्तराखंड के नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली ,रुद्रप्रयाग ,पौड़ी, टिहरी, देहरादून और हरिद्वार समेत राज्य के कई जिलों के गांवों में शनिवार की बारिश ने भारी तबाही मचा कर रख दी है।

उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 250 से अधिक सड़कें भारी बारिश के कारण बंद पड़ी हैं । राज्य के तीन राष्ट्रीय राजमार्ग और 32 से ज्यादा राज्य के सड़क मार्ग मलबा आ जाने और सड़क बह जाने के कारण बंद पड़े हैं। राज्य आपदा बचाव दल (एसडीआरएफ) ने 500 लोगों की जिंदगी बचाई हैं, परंतु अभी तक लापता 13 लोगों का कोई अता पता नहीं चला है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर वाडिया इंस्टीट्यूट और हेस्को के पर्यावरण और भू वैज्ञानिकों के विभिन्न दल आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में अध्ययन के लिए रवाना हो चुके हैं जो इस आपदा के कारणों और उससे हुए नुकसान तथा आपदा से बचाव के बारे में अपनी विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेंगे। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं पर्यावरणविद डाक्टर दिनेश चंद्र भट्ट का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने और अत्यंत निम्न से निम्न दबाव की रेखा बनने के कारण उत्तराखंड के मानसून के दोबारा पहुंचने पर मूसलाधार बारिश हुई और राज्य के कई क्षेत्रों में भारी तबाही मची।

मौसम विज्ञानियों के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ जब सक्रिय होता है तो अतिवृष्टि होती है जिसे बादल फटने की घटना भी कहा जाता है और जो भारी तबाही लेकर आता है। देखने में आया है कि उत्तराखंड में ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में बहुत तेजी से परिवर्तन हुआ है और मई के गर्मियों के महीने में भी उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने की घटना हो रही हैं, जो इस पर्वतीय राज्य की सेहत के लिए ठीक नहीं है।

प्रोफेसर भट्ट कहते हैं कि उत्तराखंड में राज्य गठन के बाद पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में विकास के नाम पर जिस तरह से पेड़ काटे गए, सड़कों का चौड़ीकरण किया गया उससे राज्य में तापमान में बदलाव आया और पर्वतीय क्षेत्रों में भी गर्मी में बढ़ोतरी हुई है और राज्य के कई पर्वतीय क्षेत्रों में तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं जो राज्य के मौसम को लगातार अस्थिर कर रहे हैं जिसका प्रभाव मनुष्य के जीवन के साथ-साथ पशु पक्षियों, वनस्पतियों,पेड़ पौधों पर भी पड़ रहा है।