भारत सरकार के नोटबंदी के फैसले ने प्रवासी नेपालियों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। दोनों देशों के बीच खुली सीमा है जहां से हजारों नेपाली मजदूर प्रतिवर्ष मौसमी और अन्य काम करने भारत आते हैं। बहुसंख्यक प्रवासी नेपाली मजदूर संगठित मजदूरी करते हैं और नगद दिहाड़ी या वेतन प्राप्त करने वाले होते हैं। इन मजदूरों के पास बैंक खाता या किसी भी तरह का भारतीय दस्तावेज नहीं हो२ता जिससे वे अपने रुपए बदल सकें। इसलिए नोटबंदी के फैसले ने तमाम भारतीय मजदूरों को रातोंरात अपनी खून-पसीने की कमाई से वंचित कर दिया। ऐसा लग रहा है मानो पिछले कई महीनों की मेहनत बेकार चली गई। इस निर्णय ने न केवल प्रवासी नेपालियों को बल्कि उन पर आश्रित उनके परिजनों और बच्चों के लिए भी गंभीर आर्थिक संकट पैदा कर दिया है। नेपाली एकता समाज के महासचिव विष्णु शर्मा ने बताया कि हमने दिल्ली में नेपाली राजदूत दीप कुमार उपाध्याय से मुलाकात कर उन्हें इस परेशानी की जानकारी दी।

हमने उनसे अनुरोध किया कि वे नेपाली नागरिकता पत्र एवं अन्य नेपाली दस्तावेजों के आधार पर प्रवासी नेपाली मजदूरों की कमाई को बदलवाने का बंदोबस्त कराएं। हमने उन्हें कहा है कि अगर जल्द इस दिशा में काम नहीं किया गया तो यह लाखों नेपाली मजदूरों और खुद नेपाल के लिए भी खतरनाक सिद्ध होगा। विष्णु शर्मा ने कहा कि हम भारत सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह नोटबंदी का अपना फैसला वापस ले। उसके इस मनमाने फैसले ने भारत की गरीब जनता को बर्बाद कर दिया है और छोटे व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। दुकानें चौपट हो गई हैं और करोड़ों लोग रातोंरात सड़क पर आ गए हैं।

वहीं भारत-नेपाल मैत्री परिषद का भी कहना है कि भारत में नोटबंदी के फैसले के बाद नेपाल में भारतीय मुद्रा रखने वालों को बड़ी परेशानी हो रही है। नेपाल में भारतीय मुद्राओं का खुब प्रचलन होने से वहां भी बड़े नोट बैंकों के ठिकाने की बाट जोह रहे हैं। परिषद के महासचिव जगदीश चंद्र भट्ट का कहना है कि बड़े नोटों के अमान्य करने के फैसले के बाद उसे बदलने की परेशानी को लेकर नेपाल स्थित भारतीय दूतावास, भारत के प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, रिजर्व बैंक, वाणिज्य बैंक से अनुरोध किया गया है।

भट्ट ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि भारत के साथ नेपाल के सांस्कृतिक, राजनीतिक और व्यापारिक संबंध सदियों पुराने हैं। ऐसे में इस वक्त नेपाल की स्थिति भारत से इतर नहीं है। इसलिए दोनों देश की सरकार, अधिकारियों और राजनयिकों को पुराने नोटों के बदलने को लेकर उचित समाधान निकालना होगा। उनका कहना है कि भारत में तो लोग 31 दिसंबर तक बड़े नोट जमा कर सकते हैं लेकिन नेपाल में जिन लोगों के पास भारतीय मुद्रा है, उन्हें इसकी बड़ी चिंता हो रही है।