दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इसी साल फ़रवरी में दिल्ली में हुए दंगों के मामले में अपनी चार्जशीट कोर्ट में दाख़िल की है। इसमें छात्र नेताओं समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का नाम शामिल है। इन में से कुछ आरोपियों ने कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, सीपीआई-एमएल पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन, छात्र कार्यकर्ता कवलप्रीत कौर, वैज्ञानिक गौहर रज़ा और अधिवक्ता प्रशांत भूषण का नाम अपने डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में लिया है।
आरोपी खालिद सैफी के साथ-साथ कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां के खुर्शीद का नाम लिया है। 30 मार्च को सैफी द्वारा दिये गए डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में कहा गया कि खुर्शीद ने लोगों से लंबे समय तक विरोध जारी रखने को कहा था। स्टेटमेंट में कहा गया है कि उन्होंने और जहान ने खुर्शीद सहित कई लोगों को “भड़काऊ भाषण” देने के लिए बुलाया था।
सैफी द्वारा दिये गए डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में कहा गया कि इन भड़काऊ भाषण से लोग धरने पर बैठे रहते थे। इससे उन्हें सरकार के खिलाफ अभियान चलाने का जोश मिलता था। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बनाए गए एक संरक्षित गवाह ने भी भड़काऊ भाषण देने के लिए खुर्शीद का नाम लिया है।
खुर्शीद ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “अगर आप सारा कचरा उठाते हैं, तो आप 17,000 पन्नों की चार्जशीट बना देंगे। चार्जशीट में संज्ञेय अपराध के आसुत, प्रामाणिक, प्रभावी और उपयोगी बातें होनी चाहिए। अगर कोई कहता है कि 12 लोगों ने आकर भड़काऊ भाषण दिए, तो यह नहीं हो सकता कि 12 लोगों ने एक ही तरह के भड़काऊ भाषण दिए और हर एक के उकसाने का स्तर समान था। इस देश में प्रोवोकेशन और भीड़ जुटाना कोई अपराध नहीं है।”
वैज्ञानिक गौहर रज़ा पर खुरेजी में अपने भाषण से मुसलमानों को उकसाने का आरोप है। गवाह ने अपने बयान में कहा है कि रज़ा ने दूसरों के साथ, “सीएए, एनआरसी और वर्तमान सरकार के खिलाफ गलत और आपत्तिजनक बातें की और मुसलमानों को उकसाया है।”
रज़ा ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मैं अपने बयान और सीएए के खिलाफ अब भी खड़ा हूं। आज भी मैं इसका विरोध करता हूं और मैं इसका विरोध करता रहूंगा क्योंकि मैं इसे भारत के संविधान पर हमला मानता हूं … मैं हमेशा किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ रहा हूं। इसलिए किसी और के खिलाफ किसी को उकसाने का कोई सवाल ही नहीं है। ”