दिल्ली में एमसीडी चुनाव में जीत का सहरा बांधने वाली बीजेपी में अंदरुनी कलह की खबरें सामने आ रही है। 6 महीने पहले दिल्ली की उत्तर-पूर्वी सीट से सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष का पद संभालते हुए कहा था कि पीएम मोदी के नारा “सबका साथ” को लेकर आगे बढ़ेंगे और सबको साथ लेकर चलेंगे। हालांकि पार्टी इकाई में विवाद के कुछ लक्षण मंगलवार को सामने आए। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच उस समय विवाद की खबरें उस समय सामने आई जब केंद्रीय खेल मंत्री और दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष विजय गोयल द्वारा नए पार्षदों के राजनीतिक सिस्टम में आने को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में दिल्ली बीजेपी के नेताओं, सांसदों, विधायकों और पार्षदों को आमंत्रित गया। पार्टी सूत्रों का दावा है कि मंगलवार शाम को आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल होने से पार्षदों को मनोज तिवारी ने रोक दिया था।
पार्षदों को गोयल के कार्यक्रम से दूर रहने के तिवारी के फैसले पर एक बीजेपी नेता ने कहा, “केवल पार्टी पार्षदों को बुला सकती है। यहां तक पार्टी और पार्टी के ईकाई प्रमुख की सहमति के बिना मंत्री भी पार्षदों को नहीं बुला सकते हैं। हर्षवर्धन भी एक मंत्री हैं, बावजूद इसके उन्होंने किसी भी पार्षद को नहीं बुलाया।” पार्टी नेता ने कहा कि दिल्ली में गोयल की अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं। गोयल और हर्ष वर्धन दोनों दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं और वर्तमान में मोदी सरकार में में मंत्री है। सूत्रों के मुताबिक तिवारी के कुछ करीबी सहयोगियों ने पार्षदों तक उनका (मनोज तिवारी) यह मैसेज पहुंचाया। बीजेपी ने राज्य की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी को निकाय चुनाव में करारी शिकस्त देकर तीन नगर निगमों पर कब्जा किया।
यही नहीं निगमों में किस तरह से काम होता है इसके तरीकों जानने में जुटे पार्षद भी खेमों में बंटे नजर आ रहे हैं। एक नवनिर्वाचित पार्षद ने कहा, “हम क्या कह सकते है? हमें बुलाया गया था, तो हम गए। यह पार्टी का एक कार्यक्रम था। पार्टी के खिलाफ नहीं था। पार्षदों को ‘सम्मान समारोह’ में भाग लेने के लिए नहीं जाने के निर्णय ने हमें दुविधा में डाल दिया।