उत्तर प्रदेश के बनारस जाने वाले और दिल्ली के मायापुरी में रहने वाले राहुल को इस बात की जरा भी शिकायत नहीं थी कि 43 डिग्री की इस तेज गर्मी और तपती धूप में ना उसके सिर के ऊपर धूप से बचने के लिए तिरपाल है, ना ही तेज धूप में तपती जमीन से बचने के लिए एक दरी। उसे तो बस एक ही धुन सवार थी कि अपने घर जाना है। अपनी बूढ़ी मां को देखना है।
दिल्ली सरकार के स्थानीय प्रशासन की बदइंतजामी से बेखबर राहुल के अलावा ऐसे कई प्रवासी मजदूर थे जो द्वारका सेक्टर- दो में एकजुट हुए थे, यहां से सरकार इन्हें बस से रेलवे स्टेशन भेज रही है। भरी दोपहर में लोग सर्विस रोड की सड़क पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। जिसके लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं हो रही हैं और दिल्ली सरकार सुविधाए पहुंचाने के दावे करती नहीं थक रही। मजदूरों के लिए नाकाफी इंतजामों की बात जब बात पुलिस के आला अधिकारियों तक पहुंची तो घर वापस जा रहे मजदूरों का हाल-चाल लेने संयुक्त आयुक्त शालिनी सिंह, द्वारका के पुलिस उपायुक्त एंटो अल्फोंस और अतिरिक्त उपायुक्त आरपी मीणा सदल बल उनके बीच खाना लेकर पहुंच गए।
भारत सरकार द्वारा श्रमिकों के लिए शुरू की गई रेल सेवा के जरिए लगातार प्रवासियों को रेलवे स्टेशन पहुंचाया जा रहा है। इसके लिए सरकार के नुमाइंदे के साथ पुलिस को भी सहयोग के लिए अधिकृत किया गया है। भीड़ बेकाबू न हो इस दौरान सोशल डिस्टेंस और संयम बरतते हुए एक-एक व्यक्ति को उनके टोकन नंबर के आधार पर स्क्रीनिंग और कागजात के सत्यापन करने के लिए बुलाया जाता है। औपचारिकताएं पूरी करने के बाद प्रवासी लोग वहां से आगे की यात्रा करते हैं। शुक्रवार को भी इसी तरह से लोगो को द्वारका सेक्टर-दो डीटीसी डिपो के बाहर सड़क पर इलाके के लोगों को बुलाया गया था। बस्ती उत्तरप्रदेश के मनीराम ने बताया कि उन्हें संदेश आया था इसलिए सुबह सात बजे से दोपहर वे सर्विस रोड के सड़क पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हंै।
धूप में इंतजार कर रही सीमा और गायत्री लाजवंती और नन्हे मुन्ने बच्चों विवान, राहुल और मुकेश को अपने-अपने घर जाना है, अपने दादा दादी, चाचा -चाची से मिलना है और दो जून की रोटी अब वहीं खानी है। इस इंतजार में सुबह 5:00 बजे से ये दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। जबकि गोरखपुर अपने परिवार के साथ जाने वाले राजकुमार कहते हैं कि संदेश तो आ गया कि आज उन्हें ट्रेन से उनके घर भेजा जाएगा, लेकिन अब उसका नंबर आएगा या नहीं तब तक उन्हें कितनी समस्याओं से जूझना पड़ेगा उन्हें खुद पता नहीं है। पसीने से तरबतर इन सभी मजदूरों का कहना था कि दो महीने में एक या दो बार सरकार के गेहूं और चावल देने से काम नहीं चल रहा। मजबूरी है तो घर जाना ही पड़ेगा।
पुलिस ने बांटे खाने के पैकेट: तेज धूप में घंटो बैठे इन बेबस और मजलूमों के दर्द की जानकारी उत्तरी रेंज की संयुक्त आयुक्त शालिनी सिंह को जैसे ही लगी द्वारका सेक्टर-दो के बस डिपो पर द्वारका उपायुक्त एंटो अल्फोंस और अतिरिक्त उपायुक्त आरपी मीणा सहित अन्य आला अधिकारी जायजा लेने के लिए पहुंचे। फिर पुलिस ने कालीबारी मंदिर के शुरू किए गए एक अभियान के तहत सभी लोगों के बीच खाने के पैकेट वितरित किए ताकि वे लोग रास्ते में इस खाने को खाकर अपनी यात्रा आराम से कर सकें।

