दिल्ली उच्च न्यायालय ने आय से अधिक सम्पत्ति मामले में आरोपी हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से बुधवार (6 अप्रैल) को कहा कि वह मामले की जांच में शामिल हों। अदालत ने साथ ही सीबीआई को निर्देश दिया कि वह उन्हें गिरफ्तार नहीं करे। न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने यह तब कहा कि जब सिंह ने अदालत को बताया कि वह जांच में शामिल होने और एजेंसी से सहयोग करने को तैयार हैं। अदालत ने कहा, ‘‘वे (सिंह के वकील) कह रहे हैं कि वे जांच में शामिल होने को तैयार हैं। यह केवल जांच में शामिल होने को लेकर है। वे शामिल होंगे। आप (सीबीआई) उन्हें गिरफ्तार नहीं करेंगे।’’
अदालत ने यह बात सीबीआई की उस अर्जी का निपटारा करते हुए कही, जिसमें उसने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के एक अंतरिम आदेश को हटाने की मांग की थी। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक अक्तूबर 2015 के अपने अंतरिम आदेश में मामले में सिंह को गिरफ्तार करने, पूछताछ करने या आरोपपत्र दायर करने पर रोक लगायी थी।
सिंह के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से अदालत ने कहा कि वह अपने मुवक्किल का निजी मोबाइल नम्बर एजेंसी को मुहैया कराये। अदालत ने यह भी कहा कि जब भी जांच अधिकारी बुलाए, सिंह को जांच में शामिल होना पड़ेगा। सुनवायी के दौरान सिब्बल ने अदालत को बताया कि सिंह जांच में शामिल होने को तैयार हैं। सीबीआई के लिए पेश होने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी एस पतवालिया ने शुरू में यह कहते हुए अंतरिम आदेश में संधोशन का दबाव बनाया कि एजेंसी को मामले की ‘‘जांच में पूरी छूट दी जानी चाहिए।’’
यद्यपि मामले की सुनवायी के अंतिम चरण में एएसजी ने कहा, ‘‘हम प्रसन्न हैं कि वह (सिंह) जांच में शामिल होने को तैयार हैं। उन्हें जांच में शामिल होने दीजिये। उन्हें आश्वस्त रहना चाहिए कि कुछ भी असाधारण नहीं होगा। हम इसमें सामान्य प्रक्रिया अपनाएंगे।’’
मंगलवार (5 अप्रैल) को दिल्ली उच्च न्यायालय से सिंह ने कहा था कि उन्हें मामले की सीबीआई जांच में शामिल होने में कोई समस्या नहीं है। अदालत ने उनसे पूछा था कि वह ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं। अदालत ने कहा था कि वह मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजेगी ताकि यह निर्णय किया जा सके कि क्या एकल न्यायाधीश की पीठ इस अर्जी पर सुनवायी कर सकती है क्योंकि अंतरिम आदेश हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा पारित किया गया है। सीबीआई ने मंगलवार (5 अप्रैल) को अदालत को बताया था कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश की वजह से मामले की जांच ‘‘थम गई है।’’