दिल्ली हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के दो बच्चों को कोई अंतरिम राहत देने से बुधवार को इनकार कर दिया। मुख्यमंत्री के बच्चों ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धनशोधन के मामले में उनकी कुछ संपत्ति को अस्थायी तौर पर कुर्क किए जाने को चुनौती दी थी। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश जयंत नाथ की पीठ ने कहा, ‘हम उन्हें (प्रवर्तन निदेशालय, वित्त मंत्रालय) को जवाब दायर करने का अवसर देंगे और तब हम देखेंगे कि क्या आपको राहत दिए जाने की जरूरत है? अभी हमें कोई अंतरिम आदेश जारी करने की कोई तात्कालिकता नजर नहीं आती।’

इसी बीच, पीठ ने वीरभद्र की बेटी अपराजिता कुमारी और बेटे विक्रमादित्य सिंह की ओर से दायर याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय और केंद्र को नोटिस जारी कर दिए। वीरभद्र के बच्चों ने प्रवर्तन निदेशालय के 23 मार्च के अस्थायी कुर्की के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि उसने ‘अपने अधिकारक्षेत्र को लांघा’ है।

सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखने के लिए आए वरिष्ठ वकील अमित सिब्बल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह इस मामले में आगे की कार्यवाहियों पर रोक लगा दे। लेकिन पीठ ने कहा कि वह केंद्र की ओर से दायर जवाब को देखेगी और फिर मामले की सुनवाई करेगी।

पीठ की ओर से मामले को 18 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिए जाने पर सिब्बल ने कहा, ‘18 अप्रैल से पहले मुझे राहत दी जानी चाहिए। प्रवर्तन निदेशालय 23 मार्च के अस्थायी कुर्की आदेश से 30 दिन की अवधि के भीतर कार्यवाही आगे बढ़ा सकता है।’

इसपर पीठ ने कहा, ‘आप संवैधानिक वैधता को चुनौती दे रहे हैं। उन्हें (प्रवर्तन निदेशालय और केंद्र) को उनके जवाब दायर करने के लिए अवसर दिया जाएगा।’ याचिकाकर्ताओं ने धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की धारा पांच (एक) के हाल ही में संशोधित दूसरे नियम को भी चुनौती देते हुए कहा कि इसे असंवैधानिक करार दिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह कानून की योजना के विरोधाभासी है और यह संविधान का उल्लंघन करता है।

सिब्बल ने पीठ से मामले में आगे की कार्यवाहियों पर रोक लगाने की अपील करते हुए कहा, ‘मैंने दूसरे नियम में हुए संशोधनों को चुनौती दी है। यह कुर्की अवैध है। यदि यह कुर्की जारी रहती है तो यह मेरे लिए कलंक की बात होगी।’ पीठ ने सिब्बल से कहा कि यदि सुनवाई की आगामी तिथि से पूर्व उन्हें कोई नोटिस जारी किया जाता है तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के दो बच्चों ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर प्रवर्तन निदेशालय के उस आदेश को निरस्त करने की मांग की थी जिसमें धन शोधन निरोधक अधिनियम के तहत उनकी कुछ संपत्तियों को कुर्क करने को कहा गया था। प्रवर्तन निदेशालय ने अपराजिता की 15 लाख 85 हजार 639 रुपए की संपत्ति और विक्रमादित्य की 62 लाख 86 हजार 747 रुपए की संपत्ति अस्थायी तौर पर कुर्क की है। संयुक्त याचिका में दोनों ने कहा है कि यह आदेश वीरभद्र और अन्य के खिलाफ पीएमएलए के तहत 27 अक्तूबर 2015 को दर्ज प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआइआर) में नामजद किए बिना पारित किया गया।