दिल्ली में मच्छरों के पनपने पर हाईकोर्ट से नगर निगम को कड़ी फटकार लगी है। उच्च न्यायलय ने बीजेपी शासित निगम पर गुस्सा होते हुए कहा कि सिर्फ कागजों पर ही बाजीगरी दिख रही है। इससे संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक विशेष कार्यबल गठित करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि दिल्ली के लोग पीड़ित हैं, और अधिकारी पूर्वानुमान लगाने, प्रबंधन करने और सुधारात्मक उपाय करने में विफल रहे हैं। कोर्ट ने कहा- “पिछले 20 वर्षों से हर साल, हम एक ही चीज पीड़ित हैं और कुछ होता नहीं दिख रहा। आयुक्त नैतिक जिम्मेदारी क्यों नहीं लेते हैं और अपना इस्तीफा क्यों नहीं देते हैं? उसे क्या रोकता है?”
अदालत ने एक स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। कोर्ट ने मई में दिल्ली में मच्छरों के संक्रमण पर संज्ञान लिया था। इस साल डेंगू के मामलों की अधिक संख्या को लेकर नगर निकायों ने पहले भारी बारिश को इसका एक कारण बताया था। जिस पर कोर्ट ने कहा कि आप पूरा दोष अधिक बारिश पर डाल दे रहे हैं। ऐसे में तो हमें भगवान पर सबकुछ छोड़ देना चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा- “आप पूरा दोष अत्याधिक बारिश पर डालना चाहते हैं। यह तो सिर्फ बहाना है। आपको किसी व्यक्ति पर जिम्मेदारी डालने की जरूरत है। यदि संख्या कम नहीं होती है, तो किसी व्यक्ति को अवमानना की कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होना चाहिए”।
अदालत ने आगे कहा कि स्थानीय निकायों को मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए एक बड़े बल की आवश्यकता हो सकती है। कोर्ट ने कहा- “आपको जमीन पर अधिक सक्रिय लोगों की जरूरत है। काम करने वालों की उचित निगरानी होनी चाहिए। शायद कोई पर्यवेक्षण नहीं है। शायद इसलिए कि शीर्ष व्यक्ति जुलाई या अगस्त के महीनों में अपने वातानुकूलित कार्यालय में बैठा रहता है, जब यह फैल रहा होता है। वह सिर्फ कुछ कागजी रिपोर्ट देख रहा होता है”।
कोर्ट की फटकार के बाद निकायों के वकील दिव्य प्रकाश पांडे ने कहा कि अगली स्टेटस रिपोर्ट में उन अधिकारियों का विवरण दिया जाएगा, जो इसके लिए जिम्मेदार होंगे। मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी।
