मंगलवार को कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस-आप का गठबंधन नहीं होगा और दोनों पार्टियां अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगी। वहीं आप नेता और दिल्ली के पार्टी प्रदेश अध्यक्ष गोपाल राय का कहना है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की बातचीत टूट गई है, लेकिन उन्होंने उम्मीद जतायी कि अभी भी दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों पार्टियों के बीच संभावित गठबंधन को लेकर एक माह में दो बार बातचीत हुई, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर असहमति और विश्वास की कमी के चलते यह गठबंधन नहीं सका। आप नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने सीट बंटवारे के लिए 3-3-1 का फार्मूला दिया था।
इस फॉर्मूले के तहत आप और कांग्रेस 3-3 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली थीं, वहीं एक सीट निर्दलीय प्रत्याशी के लिए छोड़ने की बात कही गई थी। हालांकि इस फार्मूले पर बात नहीं बन पायी। वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि उनकी पार्टी कांग्रेस को एक सीट या ज्यादा से ज्यादा 2 सीटें ही दे सकती है। आप नेताओं का कहना है कि जिस पार्टी का एक भी विधायक नहीं है, उसे 3 लोकसभा सीटें देना संभव नहीं है। बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी 7 सीटों पर भाजपा ने जीत का परचम लहराया था, वहीं आप दूसरे नंबर पर रही थी। गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली की 6 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर भी चुकी है। वहीं एक सीट पर अभी तक उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया गया है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, आम आदमी पार्टी इस सीट पर किसी गैर-राजनीतिक और किसी भी पार्टी के साथ ना जुड़े हुए किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ा सकती है। माना जा रहा है कि यदि आप और कांग्रेस का गठबंधन होता है, तो आम आदमी पार्टी कांग्रेस को नई दिल्ली और चांदनी चौक की लोकसभा सीटें दे सकती है। इसकी वजह ये है कि इन दोनों ही सीटों से कांग्रेस की तरफ से क्रमशः अजय माकन और कपिल सिब्बल जैसे दिग्गज नेता चुनाव जीतकर आते हैं। ऐसे में आप इन दोनों सीटों को कांग्रेस को दे सकती है। दक्षिणी दिल्ली की सीट पर 1984 के दंगों में फंसे सज्जन कुमार और उनके परिवार का खासा प्रभाव है। ऐसे में यदि आप और कांग्रेस में गठबंधन की संभावनाएं बनती हैं तो दक्षिण दिल्ली की सीट को लेकर ही आप और कांग्रेस के बीच विचार मंथन हो सकता है।
कांग्रेस और आप में गठबंधन ना होने की एक वजह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा कई बार सार्वजनिक मंचों से कांग्रेस और आप-कांग्रेस गठबंधन को लेकर बयानबाजी कर चुके हैं। जिससे कांग्रेस के कई नेता आप के साथ गठबंधन को लेकर असमंजस में हैं। वहीं पंजाब में सीएम अमरिंदर सिंह साफ कर चुके हैं कि वह आगामी लोकसभा चुनावों में आप के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस फैसले का असर भी दिल्ली में आप-कांग्रेस के गठबंधन पर पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि यदि आप-कांग्रेस का गठबंधन होता है तो दिल्ली की 6 लोकसभा सीटों पर गठबंधन को जीत मिल सकती है।