दिल्ली महिला आयोग के सहायक सचिव ने सभी DCW संविदा कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश जारी किया है। सोमवार शाम को निकाय के सहायक सचिव द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि दिल्ली महिला आयोग के साथ काम करने वाले संविदा कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से सेवाओं से हटा दिया गया है। दिल्ली एलजी की मंजूरी के साथ डब्ल्यूसीडी मंत्रालय के अप्रैल 2024 के आदेश के अनुपालन में आदेश पारित किया गया।
दिल्ली महिला आयोग के सहायक सचिव ने अप्रैल 2024 में जारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के निर्देशों का पालन करते हुए सभी संविदा कर्मचारियों को तत्काल हटाने का आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि डीसीडब्ल्यू संविदा कर्मचारियों को उपराज्यपाल की मंजूरी के साथ सेवाओं से मुक्त कर दिया गया है।
दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा अनुमोदित यह निर्णय डीसीडब्ल्यू के भीतर एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल को दर्शाता है, जिसका प्रभाव इसके कार्यबल और संचालन पर पड़ेगा।
इसी साल 223 कर्मियों को हटाया गया था
इससे पहले अप्रैल-मई 2024 में दिल्ली के एलजी के आदेश पर दिल्ली महिला आयोग से 223 कर्मचरियों को तत्काल प्रभाव से हटाया गया था। आरोप था कि दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने अपने कार्यकाल के दौरान नियमों के खिलाफ जाकर बिना इजाजत इन कर्मचारियों की नियुक्ति की थी। कहा गया था कि महिला आयोग की अध्यक्ष को संविदा पर कर्मचारी रखने का अधिकार नहीं है।
दिल्ली में पटाखों को लेकर बड़ा अपडेट, हाई कोर्ट की तरफ से की गई सख्त टिप्पणी
स्वाति मालीवाल ने एलजी वीके सक्सेना पर निशाना साधा था
जिसके बाद आयोग की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर निशाना साधा था। मालीवाल ने कहा था कि इस कदम से डीसीडब्ल्यू मुश्किल में पड़ जाएगा। उन्होंने दावा किया था कि अगर ये संविदा कर्मचारी नहीं होते तो डीसीडब्ल्यू की शाखाएं, जैसे महिला हेल्पलाइन 181 और क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर, पिछले आठ सालों में इतने बड़े पैमाने पर मामलों को नहीं संभाल पातीं।
दरअसल, डीसीडब्ल्यू ने 9 सितंबर 2016 को आयोजित बैठक में 223 अतिरिक्त पद सृजित किए थे। कुछ हफ्ते बाद, महिला एवं बाल विकास ने डीसीडब्ल्यू के सदस्य सचिव से आयोग को उन्हें प्रदान किए जा रहे अनुदान की शर्तों के बारे में अवगत कराने के लिए कहा था।