दयाशंकर सिंह यूपी प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर एक हफ्ते भी काबिज नहीं रह सके। उन्हें बीती 12 जुलाई को ही यह पद दिया गया था। मायावती पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने की वजह से उन्हें बुधवार को पद से हटा दिया गया। प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने 15 तारीख को राज्य कार्यकारिणी की लिस्ट जारी की। इसमें 15 उपाध्यक्ष बनाए गए थे, जिसमें दयाशंकर सिंह भी शामिल थे। दयाशंकर सिंह ने इसकी जानकारी खुद अपने फेसबुक पेज पर दी थी। दयाशंकर को गृहमंत्री राजनाथ सिंह के विरोधी खेमे का माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे राजनाथ के बेटे का विरोध भी कर चुके हैं।
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एमएलसी चुनाव में किया हार का सामना
बलिया से ताल्लुक रखने वाले दयाशंकर छात्र राजनीति की उपज माने जाते हैं। वे लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं। वे इस बार विधान परिषद के चुनाव में भी खड़े हुए थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पर्याप्त वोट न होने के बावजूद दयाशंकर सिंह को एमएलसी चुनाव प्रत्याशी बनाया गया। कुछ जानकारों का दावा है कि राजनाथ के विरोध की अनदेखी करके उन्हें चुनाव लड़वाया गया। वहीं, कुछ जानकार मानते हैं कि दयाशंकर को बलि का बकरा बनाया गया। हालांकि, बाद में उन्हें पद देकर संतुष्ट करने की कोशिश की गई।
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राजनाथ सिंह का विरोध क्यों?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दयाशंकर कभी राजनाथ के करीबी थे। बाद में दोनों के बीच दूरियां बढ़ीं। 2012 में जब राजनाथ के बेटे पंकज सिंह को प्रदेश महामंत्री बनाया गया तो दयाशंकर ने पंकज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी के अलावा मीडिया हाउसेज को भेज दिया।
दयाशंकर सिंह का इंटरव्यू (साभार: पर्दाफाश यूट्यूब)