छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में उपचुनाव के दौरान इंद्रावती नदी पर पुल न होने के कारण छह गांव के लगभग 4500 ग्रामीणों ने मतदान करने के लिए इंद्रावती नदी को पैदल पार किया। बताया जा रहा है कि इस गांव के लोग अक्सर दवाइयां लेने, बीमार के इलाज के लिए और मृत लोगों के अंतिम संस्कार के लिए ऐसे ही इंद्रावती नदी को पार कर अपने गंतव्य तक जाते है। हालांकि चुनाव के दौरान सोमवार को इंद्रावती नदी पर एसडीआरएफ के तीन जवान को तैनात किया गया था ताकि वह ग्रामीणों को नदी पार करने में मदद कर सके।

पांच दिनों से बारिश ने हाने से नदी शांत है:  बडेकरका गांव की अंजलि नेताम अपने दो साल की बच्ची को गोद में लेकर नदी पार कर मतदान करने पहुंची। उन्होंने बताया कि हर बार जब हम नदी पार करते हैं तो जान का खतरा होता है। पांच दिनों तक बारिश नहीं हुई, इसलिए नदी शांत है। हर बार जब हम मतदान करते हैं तो हम आशा करते हैं कि अंत में एक पुल बनाया जाएगा या शायद एक सड़क ताकि हमें बहुत ज्यादा चलना न पड़े। लेकिन ऐसा कभी नहीं होता। लेकिन हम वोट देते हैं।

यहां नदी एकमात्र समस्या नहीं: नदी के किनारे स्थित बडेकारका, तुमरीगुडा, चेरपाल, पूर्णार, हितावाड़ा और हंदवाड़ा के छह गांवों के लिए, मतदान केंद्र अभुझमाड़ में बनाने की शुरु में चर्चा थी लेकिन खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने मुचनार में स्थानांतरित कर दिया है। यहां नदी एकमात्र समस्या नहीं है। माओवादी गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में मतदान हमेशा खतरे से भरा रहता है।

माओवादियों के बारे में बात करने से डरते है लोग: मुचनार में लोग अपनी पार्टी या उम्मीदवार की पसंद के बारे में नहीं करते। माओवादियों के बारे में कोई भी सवाल एक चुप्पी से मिलता है। लेकिन बूथ के अधिकारियों ने सोमवार को कहा, यह पहले से ही स्पष्ट है कि नदी के पार से अधिक लोग आए हैं। फिलहाल दंतेवाड़ा में मतदान का दिन शांतिपूर्ण तरीके से निकल गया। दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि मतदान के दौरान यहां कोई घटना नहीं हुई है। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय ने कहा कि दोपहर 3 बजे तक 53.25 प्रतिशत मतदान हुआ।