पिछले दिनों दो दिवसीय नृत्य समारोह इंडिया हैबिटाट सेंटर में ‘सारे जहां से अच्छा’ में ओडिशी, कथक, मोहिनीअट्टम और मणिपुरी नृत्य पेश किया गया। नृत्यांगना रंजना गौहर की नृत्य रचना ‘मत्स्य अवतार’ में विष्णु के अवतार को ओडिशी और छऊ नृत्य शैली में पिरोया गया। इसमें सरिता कलेले, शुभा धनंजय, माया व मुद्रा धनंजय, सरोदी सैकिया व साथी ने शिरकत किया। ‘मत्स्य अवतार’ में छोटे-छोटे संवाद और गीतों को पिरोया गया था। रचना ‘धन्य-धन्य प्रभु हरि नारायण’, ‘देखत-देखत मीन विकर्षित’ व ‘कैसी लीला प्रभु अब दर्शन दे दो’ पर कलाकारों ने प्रसंग अनुकूल नृत्य पेश किया। नृत्य के क्रम में ‘ता-झम-तारी-झम’ के बोल पर ओडिशी की तकनीकी पक्ष की प्रस्तुति मोहक थी। नृत्य रचना की पराकाष्ठा गीता के श्लोक ‘यदा-यदा ही धर्मस्य’ और जयदेव की रचना ‘प्रलय पयोधि जले’ में दिखीं।
समारोह में कथक नृत्यांगना उमा डोगरा की शिष्या सरिता कलेले ने कथक नृत्य पेश किया। उन्होंने इसके लिए होली ‘ना मारो श्याम पिचकारी’ पर भाव पेश किया। उन्होंने होली के तुरंत बाद राग मेघ में तराना पर नृत्य पेश किया। तराना बारिश के मौसम के अनुकूल था। सरिता के अंग संचालन, हाव-भाव, पैर का काम, कसक-मसक का अंदाज सुरुचिपूर्ण था। उन्होंने अपने नृत्य में रचना-‘किट-थेई-किट-धा’ व ‘ता-गिन-तत्-थेई’ को अच्छे अंदाज में पिरोया। उन्होंने नृत्य में घूंघट, कलाई, रुख्सार की गतों का प्रयोग किया।
भरतनाट्यम नृत्यांगना शुभा धनंजय ने ‘सारे जहां से अच्छा’ पर भरतनाट्यम नृत्य पेश किया। इसी क्रम में माया और मुद्रा धनंजय ने युगल कथक नृत्य का समां बांधा। प्रस्तुति में शुभा धनंजय ने नटराज का आनंद तांडव पेश किया। यह राग पूर्वी कल्याण और आदि ताल में निबद्ध थी। यह पापनाशन शिवन की रचना थी। सुब्रम्ण्यम के पदम ‘सुंदरसेन सुकुमार पाहिमाम’ पर भाव पेश किया। यह राग विहाग और आदि ताल में निबद्ध था।
समारोह में माया और मुद्रा ने गणपति स्तुति से नृत्य आरंभ किया। यह राग मालकौंस और एक ताल में निबद्ध था। यह गुरु माया राव की नृत्य रचना थी। राग बागेश्वरी और तीन ताल में निबद्ध तराना उनकी अगली पेशकश थी। यह गुरु गीतांजलि लाल की नृत्य रचना थी। उनकी कथक प्रस्तुति सामान्य थी। दक्षिण भारत में कथक नृत्य बहुत कम कलाकार सीखते हैं, ऐसे में माया और मुद्रा का कथक नृत्य सराहनीय है।