स्पीक मैके की ओर से विरासत शृंखला के तहत ओड़िशी नृत्यांगना इलियाना सिटारिस्टि ने मॉडर्न स्कूल में नृत्य पेश किया। उनके साथ मरदल पर प्रफुल्ल मंगराज, बांसुरी पर धीरज पांडे और गायन पर प्रशांत बेहरा ने संगत किया।  इटली निवासी इलियाना सिटारिस्टि भारतीय शास्त्रीय संगीत की मुरीद हैं और कथकलि सीखने के लिए भारत आ गईं और फिर यहीं की होकर रह गईं। वह यहां रहकर कथकलि, मयूरभंज छऊ और ओड़िशी नृत्य सीखीं। रंगमंच से जुड़ी इलियाना शुरू में भारतीय नृत्य के आंखों, भौंहों, मुख की गतियों को सीखना चाहती थीं। लेकिन, जब सीखने लगी तब उन्हें यह अहसास हुआ कि भारतीय कला बहुत गहरी हैं।

इसमें संगीत, नृत्य, साहित्य और सृजनशीलता सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। वह पिछले पैंतीस साल से वह नृत्य सीख रही हैं और मंच पर प्रस्तुत कर रही हैं। नृत्यांगना इलियाना ने अपनी प्रस्तुति का आरंभ मंगलाचरण से किया। इसमें विष्णु की वंदना की गई। यह जयदेव की रचना ‘जय-जय देव हरे’ पर आधारित थी। इस पेशकश में विष्णु के अवतार स्वरूप कृष्ण व राम से जुड़े प्रसंगों को नृत्यांगना ने नृत्य में दर्शाया। उन्होंने कालिया मर्दन, गज मोक्ष व रावण वध को मोहक अंदाज में चित्रित किया। उनकी दूसरी पेशकश पल्लवी थी। यह राग आरभि और चार मात्रा के ताल में निबद्ध थी। पल्लवी में नृत्यांगना ने पाद भेद व हस्तमुद्राओं को विस्तार से दर्शाया। उन्होंने अपने नृत्य में संपाद, कुच, धनु, मीनकुच, लोलित, तोलित, नुपूर, सूची आदि पाद स्थितियों का प्रयोग करते हुए लयात्मक गतियों और भंगिमाओं का प्रयोग किया। इलियाना ने लय और ताल के विभिन्न आवर्तनों में लय की विभिन्न दर्जे को अपने नृत्य में मोहक अंदाज में दर्शाया। उनकी अगली प्रस्तुति अभिनय थी।

उड़िया गीत ‘ब्रज को चोरू आसेचि’ पर आधारित अभिनय में वात्सल्य रस का सुंदर समावेश था। इस प्रस्तुति में इलियाना ने माता यशोदा और बाल कृष्ण की सहज सुलभ गतिविधियों को अपने नृत्य में शामिल किया। माखन चोरी प्रसंग और कृष्ण को सुलाने की माता यशोदा की कोशिश का अंदाज बेहद मर्मस्पर्शी था। इलियाना की संचारी भाव, अांगिक चेष्टाएं, मुख के भाव और हस्तमुद्राओं का प्रयोग काफी प्रभावकारी था। उनका नृत्य अभिनय बांधने में समर्थ रहा। उन्होंने अपने नृत्य में गज, मयूर, मृग और नायिका के चलने के तरीके को चारी भेद में समाहित किया।