गुजरात के ऊना शहर में एक 29 साल के दलित युवक की दबंगों की तरफ से पिटाई का मामला सामने आया है। इस मामले में शामिल एक आरोपी पीड़ित के बड़े भाई की हत्या मामले में दोषी है। उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है।

ऊना पुलिस स्टेशन में दी शिकायत में पीयूष सरवइया ने कहा कि जब वह बृहस्पतिवार को ऊना शहर से अपने गांव ओंकोली जा रहा थो तो रास्ते में आरोपी अर्शी भीखाभाई और अर्जन बाबूभाई मकवाना उसके साथ बहस करने लगे। उसने कहा, ‘जैसे ही  मैं टावर चौक की तरफ बढ़ा ये दोनों विपरीत दिशा से आकर मेरे मोटरसाइकिल में पहले टक्कर मार दी। अर्शी मोटरसाइकिल चला रहा था जबकि मकवाना पीछे बैठा हुआ था।’

पीयूष ने बताया कि मेरी बाइक में टक्कर मारने के बाद मकवाना बाइक से उतरा और मेरा कॉलर पकड़ लिया। इसके बाद उसमें मुझे गाली देते हुए पिटाई की और लातें भी मारी। उसने आगे बताया कि पिटाई के बाद वह किसी तरह से वहां से भागने में कामयाब रहा। अर्शी और मकवाना ने उसका पीछा किया और फिर उससे झगड़ा करने लगे। वे लोग कह रहे थे कि कोर्ट ने उनकी आखिरी सांस तक सजा सुनाई है और वे अब किसी भी तरह की सजा से नहीं डरते हैं।

इस बीच मेरा दोस्त घटनास्थल पर पहुंच गया और भीड़ भी एकत्रित हो गई। इसके बाद दोनों वहां से भाग खड़े हुए। पुलिस का कहना है कि आरोपी ओबीसी वर्ग के कोली समुदाय से संबंधित है। अर्जन मकवाना को नवंबर 2018 में पीयूष के बड़े भाई की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है।

अर्शी के पिता भी इसी अपराध में जेल में हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में पीयूष ने कहा कि साल 2012 में अर्जन मकवाना समेत 11 लोगों ने भीखाभाई वाजा की लड़की के लापता होने का आरोप लगाते हुए उनके भाई लालजी के घर में आग लगा दी थी। अदालत ने भीखाभाई वाजा, उसके भाई धीरू और बेटे राम भाई को लालजी की हत्या के मामले में दोषी पाया था। अर्शी भीखाभाई वाजा का बेटा है।