अलीगढ़ के लोहागढ़ गांव निवासी 35 वर्षीय रजनीश कुमार सोमवार की रात नजदीक के बाजार में एक प्लेट छोला भटूरा खाए और फिर घर आकर सो गए। करीब 11 बजे रात उन्हें पड़ोसियों ने जगाते हुए कहा कि एक मंत्री तुम्हारे यहां कुछ खाना चाहते हैं। कुमार का परिवार एक पारिरवारिक समारोह में शामिल होने बाहर गया था। घर पर कोई खाना नहीं बना। वह यह नहीं जानता कि प्लेट और मिनरल वाटर की बोतलें किसने भेजीं। यह जरूर बताया कि खाने की व्यवस्था कैटरर की ओर से की गई। वह मंत्री के साथ भी नहीं खाया।

कुछ यूं अरविंद ने उस दिन यूपी सरकार के मंत्री सुरेश राणा के घर पर डिनर की कहानी बताई। विवाद में घिरने पर मंत्री ने किसी ढाबा या रेस्टोरेंट का खाना खाने से इन्कार किया। उन्होंने बताया कि आखिरी पलों में दलित के घर खाना खाने का फैसला उन्होंने ही लिया था।दलित अरविंद कुमार ने कहा-मैं दरवाजा बंद कर सो गया था।रात करीब 11 बजे किसी ने दरवाजे खटखटाते हुए कहा कि मंत्री घर पर डिनर करना चाहते हैं। मैंने दरवाजा खोला तो सामने भारी भीड़ खड़ी थी। अरविंद ने आगे कहा कि मैं एक पल के लिए कुछ समझ नहीं पाया कि क्या हो रहा है।

यहां तक कि मैं उनके साथ खाना भी नहीं खाया। मंत्री यहां तक कि यह भी नहीं जानते थे कि घर का मालिक कौन है। किसी कैटरर की ओर से बनाए गए भोजन को खाने के बाद मंत्री चले गए। अरविंद ने कहा कि अगर मंत्री के समय से आने की जानकारी होती तो वह उनके लिए खाने का इंतजाम कर सकता था। अरविंद ने कहा-हम झोपड़ी में रहने वाले लोगों में से नहीं है और न ही विलासितापूर्ण जीवन जीने वाले, मगर समय से सूचना पर कुछ लोगों के खाने-पीने का इंतजाम करने में सक्षम हैं।

अरविंद ने कहा मेरे पास चार पहिया और दोपहिया वाहन है, इस नाते हम भोजन की व्यवस्था खुद कर सकते हैं। उधर मंत्री ने कहा कि गांव में स्थानीय विधायक अनूप बाल्मीकि और ग्राम प्रधान ने चौपाल आयोजित की थी। वहां हमने नजदीक के दलित के घर खाना खाया। अगली सुबह हमने दूसरे दलित के घर नाश्ता लिया। सुरेश राणा ने कहा कि विपक्ष बेमतलब की राजनीति कर रहा है, क्योंकि यूपी सरकार के मंत्री गांवों में जाकर दलितों के सुख-दुख में शामिल हो रहे हैं।