अमेठी में उप जिलाधिकारी कार्यालय के सामने निराश्रित गोवंश को आग की लपट से जलाने के मामले में दो आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। घटना की वीडियो वायरल होने के बाद जिलाधिकारी के आदेश पर पुलिस दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया है। छुट्टा जानवरों के लिए 94 गौशाला बनाए गए हैं। लेकिन जानवर खेत खलिहानों से लेकर सड़कों पर घूमते रहते हैं।

जिलाधिकारी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि अमेठी तहसील में निराश्रित गोवंश को आग की लपट से जलाने के मामले में दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। इनके खिलाफ पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11-1 में संतोष तिवारी और रमेश यादव को जेल भेजा गया है।

संतोष तिवारी एक अधिवक्ता के सहायक बताए जाते हैं। इस पर अमेठी तहसील के सीनियर अधिवक्ता राजेश मिश्र ने बताया कि छुट्टा जानवर समूह में तहसील परिसर के अंदर घूमते रहते हैं। जिससे जानवरों को डराने-धमकाने और भगाने के लिए आरोपियों ने आग की लपट दिखाया था। बाकी आरोपियों की मंशा जलाने की नहीं थी।

उन्होंने कहा कि घटना के दौरान पुलिस भी खड़ी थी। मिश्र ने बताया कि छुट्टा सांड कई मोटरसाइकिल तोड़ दिए थे। जिससे सांडों को भगाने के लिए लपटें दिखा रहा था। जिले के 13 ब्लाकों में 94 गौशाला बनाए गए हैं। गौशाला में जानवरों की देखभाल के लिए चौकीदार रखे गए हैं। इसके बाद सेकेट्री, एडीओ पंचायत,बीडीओ, ग्राम प्रधान और डाक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। बाकी निगरानी के लिए सीडीओ और जिलाधिकारी है।

गौशाला के निगरानी की सबसे बड़ी जिम्मेदारी खंड विकास अधिकारियों की है। लेकिन अधिकांश बीडीओ गृह जनपद में तैनात हैं। जिससे वे ब्लाकों में निवास नहीं करते हैं। इस लिए छुट्टा जानवरों की धड़पकड़ नहीं है। जिससे जानवरों का समूह सड़कों पर घूमते-फिरते रहते हैं।