COVID-19: देश में कोरोना वायरस महामारी के बीच कुछ राज्यों ने अपने यहां टेस्टिंग की संख्या कम कर दी। खास बात है ये संख्या ऐसे समय में कम की गई जब इन राज्यों में कोविड-19 मरीजों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हो रही है। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 3 जून से 11 जून के बीच दैनिक टेस्टिंग 6,540 से घटकर 5,001 पर आ गई, जबकि शहर में संक्रमितों की सख्या 18.3 फीसदी से बढ़कर 27.7 फीसदी हो गई। संयोग से दिल्ली में कुल टेस्टिंग में संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक है। राष्ट्रीय राजधानी में इससे पहले 16 मई से 26 मई के बीच टेस्टिंग की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। तब टेस्टिंग की संख्या 6,660 से घटकर 4,675 पर आ गई। दोनों ही चरणों में टेस्टिंग की संख्या ऐसे समय में कब हुई जब सकारात्मकता दर बढ़ रही थी।
देश में दिल्ली और महाराष्ट्र को छोड़कर किसी भी राज्य में सकारात्मकता दर दहाई के आंकड़े में नहीं है। दिल्ली की तरह महाराष्ट्र में भी 29 मई से 6 जून के बीच टेस्टिंग की संख्या घटकर 14,497 से घटकर 12,764 प्रतिदिन पर आ गई। हालांकि 11 जून को राज्य में टेस्टिंग की संख्या एक बार फिर बढ़कर 14,236 पर पहुंच गई, मगर टेस्टिंग दर में कमी फिर भी रही। इस दौरान महाराष्ट्र में कारात्मकता दर 17.6 फीसदी से बढ़कर 20.1 फीसदी हो गई।
Coronavirus in India Live Updates
देश में कोरोना मरीजों के मामलों में चौथे नंबर पर गुजरात में भी टेस्टिंग की संख्या में कमी आई है। गुजरात में तीन चरणों में टेस्टिंग की संख्या में कमी आई। प्रदेश में 8 मई से 15 मई के बीच टेस्टिंग की संख्या 5,230 से घटकर 3,210 पर आ गई। इसके बाद 22 मई से 30 मई के बीच टेस्टिंग की संख्या में एक बार फिर कमी आई और ये घटकर 6,386 से घटकर 3,959 पर आई है। इस दौरान संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या 7.5 फीसदी से बढ़कर 9,7 फीसदी पर पहुंच गई। हालांकि तीसरे चरण में महत्वपूर्ण रूप से टेस्टिंग की संख्या में कमी नहीं आई।
इसी तरह मध्य प्रदेश में 18 मई से 26 मई के बीच टेस्टिंग में कमी दर्ज की गई और प्रतिदिन 5,161 से घटकर 3,576 लोगों की टेस्टिंग की गई। ओडिशा में औसतन दैनिक टेस्टिंग 24 मई से लगातार घट रही है और 11 ये जून को 4,659 से घटकर 2,798 पर आ गई है। इस दौरान संक्रमितों की संख्या 1.6 फीसदी से बढ़कर 4.6 फीसदी पर आ गई है।
जिन राज्यों में टेस्टिंग की संख्या में गिरावट दर्ज की गई और संक्रमितों की संख्या में मामूली बढ़ोतरी हुई, उनमें राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड भी शामिल हैं। डेटा से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में टेस्टिंग की संख्या में कमी देखने को नहीं मिली है।
हालांकि पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार में प्रति लाख की जनसंख्या पर टेस्टिंग दर काफी कम है। ऐसे में इन राज्यों में टेस्टिंग में कमी की शायद ही कोई गुंजाइश बचती हो।