तमिलनाडु में सलेम के पेरियार विश्वविद्यालय में दूसरे सेमेस्टर में एमए इतिहास परीक्षा के पेपर में जाति से जुड़ा सवाल पूछे जाने पर बवाल मचा है। इस सवाल के चलते विपक्ष ने भी पेरियार की विचारधारा को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाया है। वहीं विश्वविद्यालय की तरफ से कहा गया कि इस तरह की हुई चूक की जांच के लिए एक जांच समिति का गठन किया जाएगा।
बता दें कि इस तरह का विवादास्पद प्रश्न एमए इतिहास डिग्री परीक्षा के 75 अंकों के पेपर में दिखाई दिया। इसमें प्रश्न संख्या 11 में सवाल में पूछा गया कि कौन सी निचली जाति तमिलनाडु से संबंधित है? सवाल के साथ इसके चार विकल्प भी दिये गये।
इस सवाल को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एक यूजर ने विश्वविद्यालय के प्रश्न पत्र बनाने को लेकर कॉलेज के अधिकारियों की आलोचना की। बता दें कि विश्वविद्यालय का नाम द्रविड़ विचारक पेरियार के नाम पर रखा गया है। पेरियार ने जाति उन्मूलन के लिए लड़ाई लड़ी थी।

ऐसे में सोशल मीडिया यूजर्स पेरियार के नाम वाले विश्वविद्यालय के प्रश्न पत्र में जाति से जुड़ा सवाल आने पर आलोचना कर रहे हैं। हालांकि राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने इस मामले में अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक विश्वविद्यालय ने मामले की जांच करने के लिए एक जांच समिति गठित की बात कही है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डी गोपी ने इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम को बताया, “हमने पूछताछ की तो इस प्रश्न को तैयार करने वाले शिक्षकों ने कहा कि यह पाठ्यक्रम का हिस्सा है। हालांकि इससे बचा जा सकता था।” उन्होंने कहा कि प्रश्न दूसरे कॉलेज के स्टाफ सदस्यों द्वारा तैयार किए गए थे।
डी गोपी ने कहा है कि कुलपति के आदेश पर हिस्ट्री टीचिंग स्टाफ की कमेटी बनेगी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर स्टाफ सदस्यों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी।
वहीं इस मामले में विपक्ष के नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी ने ट्वीट के जरिए पूछा कि क्या पेरियार की विचारधारा का मजाक उड़ाना और सेमेस्टर परीक्षा में इस तरह के सवालों के जरिए छात्रों के बीच जाति असमानता को बढ़ाना द्रमुक का द्रविड़ मॉडल और सामाजिक न्याय है?