मेघालय हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उत्तरपूर्व के एक जाने माने अखबार की एडिटर और पब्लिसर को कोर्ट की अवमानना करने के मामले में सजा सुना दी। इन दोनों महिलाओं पर दो लाख का जुर्माना, और एक सप्ताह के अंदर जुर्माना राशि जमा नहीं करने पर 6 महीने की कैद और अखबार पर प्रतिबंध लगाने की सजा सुनाई है।
शिलांग टाइम्स में पिछले साल 6 व 10 दिसंबर को छपे एक लेख के संबंध में कोर्ट ने एडिटर पैट्रिसिया मुखिम और पब्लिसर शोभा चौधरी पर कोर्ट की अवमानना का केस लगाया है।दरअसल, इस लेख में रिटायर्ड जज और उनके परिवार वालों को बेहतर सुविधा दिलाने के लिए दिए गए कोर्ट के आदेश के बारे में लिखा गया था।न्यायमूर्ति मोहम्मद याकूब मीर और एसआर सेन की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत हमारे लिए जो शक्तियां निहित है उसके आधार पर अवमानना करने वाले दोनों पत्रकारों को दो लाख रुपए का जुर्माना भरना होगा और कोर्ट के खत्म होने तक इन दोनों को कोर्ट रूम के कोने में बैठना होगा और शिलांग टाइम्स स्वत: प्रतिबंधित हो जाएगा। इसके अलावा जुर्माने के तौर पर जमा की गई राशि को अदालत के वेलफेयर के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
गौरतलब है कि 1945 से छपने वाला अखबार शिलांग टाइम्स इस क्षेत्र का सबसे पुराना अग्रेंजी भाषा का अखबार है। कोर्ट के संबंध में लिखी गई दोनों रिपोर्ट न्यूजपेपर की वेबसाइट पर अभी भी मौजूद है। इस बारे में बातचीत के लिए जब इंडियन एक्सप्रेस ने मुखिम से बातचीत की कोशिश की तो उन्होंने मना कर दिया। कोर्ट ने मुखिम की सोशल मीडिया पोस्ट का भी हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि देश की न्याय व्यवस्था का मजाक बनाने के लिए मुखिम ने सोशल मीडिया का भी सहारा लिया।
मुखिम द्वारा लिखी गई 18 दिसंबर की पोस्ट में वह लिखती हैं, कोई कानून से संबंधित कार्यक्षेत्र में काम करने वाला मेरे साथी बताएंगे कि, 1. क्या कोर्ट में आतंक का माहौल होना चाहिए जहां आरोपित अपनी बात ना कह सके? 2. क्या आरोपित वकील को अदालत में जज द्वारा चुप कराना चाहिए, अगर चुप कराना चाहिए तो फिर अदालत में आरोपित को वकील की जरूरत ही क्या है। अगर वकील को चुप करा दिया जाए तो फिर अदालत में वकील की जरूरत ही क्या है?बता दें कि न्यायधीश सेन इससे पहले भी सुर्खियों में आ चुके हैं, उन्होंने दिसंबर 2018 में एक फैसले में कहा था कि किसी को भी भारत को इस्लामिक देश में परिवर्तित करने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने पर भारत समेत पूरे विश्व में विनाश होगा। हालांकि की बाद में उन्होंने कहा था कि उनके फैसले को गलत तरीके से समझा गया , बयान राजनीति से प्रेरित नहीं था।