राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग ने उड़ान रद्द करने और उसकी सूचना यात्रियों को नहीं देने को लेकर विदेशी एयरलाइन को त्रुटिपूर्ण सेवा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उसे एक उपभोक्ता को मुआवजा देने का निर्देश दिया है। आयोग ने कहा कि यात्रियों को दी जाने वाली सेवा में कमी है। आयोग ने कुवैत एयरवेज कोरपोरेशन को राजस्थान के एक दंपत्ति को टिकट की 59,516 रुपए राशि लौटाने व 50,000 रुपए का मुआवजा भी देने का निर्देश दिया। बीसी गुप्ता की अगुआई वाली पीठ ने कहा कि यह उनका दायित्व है कि वे शिकायतकर्ता से संपर्क करें और उनकी शिकायत का समाधान करें, बजाय इसके कि वे यह उम्मीद करें कि शिकायतकर्ता रिफंड लेने के लिए समय-समय पर उनसे संपर्क करे। याचिकाकर्ता का इस तरह का व्यवहार शिकायतकर्ता की तरफ उसके सेवा में कमी का सूचक है। शिकायत के अनुसार अजय गुप्ता ने इस एयरलाइन से 18 अप्रैल, 2010 को फ्रैंकफर्ट से नई दिल्ली की उड़ान के लिए दो टिकट खरीदे थे और उन्हें सूचित किए बगैर ही उड़ान रद्द कर दी गई।

गुप्ता और उनकी पत्नी को तीन दिन जर्मनी में ठहरना पड़ा और उसके बाद 59,516 रुपए देकर गल्फ एयर की उड़ान से दिल्ली आना पड़ा। कुवैत एयरलाइन ने दलील दी कि उड़ान ज्वालामुखी फटने के कारण रद्द करनी पड़ी और उसने उन्हें 24 अप्रैल की वापसी टिकट दी। जिला उपभोक्ता मंच ने उसकी यह दलील खारिज कर दी थी और उसे इस दंपत्ति को टिकट राशि 59,516 रुपए व 50,000 रुपए का मुआवजा भी देने का निर्देश दिया।

उसके बाद कुवैत एयरवेज एक समीक्षा याचिका के साथ राष्ट्रीय उपभोक्ता मंच पहुंचा। शीर्ष आयोग ने समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए कहा कि 21 अप्रैल को हवाई अड्डे से उड़ानों का संचालन किया जा रहा था और एयरलाइंस के लिखित वक्तव्य में इस बात का उल्लेख किया गया है। आयोग ने कहा- इसके बावजूद एयरलाइंस ने शिकायतकर्ता और उनकी पत्नी के फ्रैंकफर्ट से भारत वापस लौटने के लिए 24 अप्रैल तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। इसलिए उन्हें दूसरी एयरलाइंस का टिकट खरीदकर वापस लौटना पड़ा जिसके लिए उन्होंने 59,516 रुपए की अतिरिक्त राशि अदा की।