कहलगांव विधान सभा सीट से कांग्रेसी विधायक सदानंद सिंह की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अपने आवास पर बुलाकर ली गई चाय की चुस्की चर्चा का विषय बना हुआ है। तरह तरह के कयास लगाए जा रहे है। राजनैतिक मायने निकाले जा रहे है। अंदर की बात जानने वालों के मुताबिक सदानंद सिंह अपने इकलौते बेटे मुकेश आनंद के लिए राजनीति की जमीन तलाशने में लगे हैं। इस बाबत उनसे पूछा गया तो उन्होंने एक सुर में कई बातें बोल दीं। उनसे फोन पर बात हुई। वे बोले कि बेटे को प्रोजेक्ट करना राजनीति में कौन सी गलत और नई बात है। लालूजी ने मेरे बाद राजनीति शुरू की। और अपने बेटों को राजनीति में उतारा। मेरा बेटा तो काबिल है। पढा लिखा है। टिस्को में नॉकरी करता है। चार-पांच लाख रुपए कमाता है। ऐसे लोग राजनीति में आएंगे तो भला ही होगा। उन्होंने यह नहीं कहा कि लालूजी के बेटे कम पढ़े लिखे है। वे बोले कि वैसे मेरा नीतीशजी से पुराना निजी रिश्ता है। स्थानीय विधायक होने की वजह से उनका आदर करना मेरा कर्तव्य है। इसमें क्या बुराई है। मेरे और नीतीशजी के संबंध की चर्चा उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी मंच से की।

राजनीति के माहिर कांग्रेसी नेता सदानंद सिंह लगता है कि कांग्रेस को डूबता जहाज मान बैठे है। तभी इन दिनों पाला बदलने तो कभी कांग्रेस टूट का नेतृत्व करने के कयास वाली खबरें सुनने को मिल रही है। इस बात में दम इससे भी लगा। बीते आठ फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भागलपुर में विकास कामों की समीक्षा करने आए थे। उनकी अगवानी करने हवाई अड्डे पर सदानंद सिंह और भागलपुर शहरी सीट से कांग्रेसी विधायक अजित शर्मा खड़े दिखे। मगर इन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया।

इसी तरह 15 फरवरी गुरुवार को बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर योजना का उदघाटन करने कहलगांव आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवानी में वे हाजिर थे। उदघाट्न समारोह में उनकी मौजूदगी तो लाजिमी मानी जा रही है। वजह साफ है। वे यहां के विधायक है और बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर योजना इनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। मगर उदघाट्न के बाद उन्हें चाय का बुलावा और साथ में चुस्की राजनैतिक गलियारे को गर्मा दिया है। जब कि महागठबंधन टूटने के बाद नीतीश सत्ताविहीन हुए साथियों के निशाने पर है। गोले दोनों तरफ दागे जा रहे है। बल्कि साथ आई भाजपा भी नीतीश के बचाव में दाग रही है। पर सदानंद सिंह अपनी शालीनता बरकरार रखे है। इसकी चाहे जो वजह हो। यों चाय की चुस्की पर नीतीश कुमार के साथ भाजपा नेता व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, जलसंसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह भी मौजूद थे। हालांकि सरकारी कार्यक्रम में यह शामिल नहीं था। शायद सदानंद सिंह का आग्रह नीतीश कुमार टाल नहीं सके। बिहार में जात पात काफी मायने रखती है। इसके बगैर राजनीति अधूरी है। दोनों स्वजातीय है।

चाय की चुस्की में मौजूद सूत्र बताते है कि सदानंद सिंह ने अपने बेटे मुकेश आनंद को टाटा से खास तौर से इस मौके के लिए बुलवाया था। ये टाटा मोटर में बड़े पद पर है। नीतीश कुमार से इत्मीनान से परिचय कराया गया। इनकी आवभगत में एक तरह से इनका पूरा कुनबा लगा था। इनके दोनों भाई अरविंद कुमार (पार्षद), ठेकेदार विवेकानंद और समधी व मुकेश के ससुर डा. डीपी सिंह समेत हाजिर रहे। आपको यहां बता दे कि डा. डीपी सिंह बिहार इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष है। और जेएनएल भागलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल में तैनात है। इनके अलावे मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगे बड़े अधिकारी भी थे। मगर वहां गए पत्रकारों से परहेज किया गया और उन्हें दूर ही रखा।

दिलचस्प बात कि सभा मंच से भी दोनों ने एक दूसरे की बड़ाई के कसीदे पढ़े। सदानंद सिंह 1967 से कहलगांव सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे है। तब से अबतक ये केवल दो दफा 1990 और 2010 का चुनाव हारे। एक दफा कांग्रेस ने इनको भागलपुर संसदीय सीट से भी प्रत्याशी बनाया था। इस दौरान बिहार के राज्य मंत्री, काबीना मंत्री व स्पीकर भी बनाए गए। मसलन कांग्रेस ने इनको बहुत कुछ दिया। ये राजनीति के माहिर माने जाते है और फिलहाल सबसे वरिष्ठ भी है। ऐसे में कांग्रेस से अलग होने की बात को इन्होंने खारिज भी किया।