Congress on Kumbh Mela 2019: उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी पर हमला तेज करते हुए कांग्रेस ने प्रयागराज में 2019 में आयोजित कुंभ मेले ( Kumbh Mela 2019) में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। कांग्रेस के अनुसार CAG की रिपोर्ट ने योगी सरकार (Yogi government) का पर्दाफाश कर दिया है। कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान आरोप लगाया कि कुंभ मेले ( Kumbh Mela 2019) के आयोजन में किया गया यह घोटाला उत्तर प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने ना सिर्फ इतना बड़ा घोटाला होने दिया बल्कि इसमें लिप्त भ्रष्टाचारियों को ढाई साल का समय भी दिया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने उचित समय पर कार्रवाई की होती तो कई मंत्री और अधिकारी भ्रष्टाचार के इस मामले में जेल गए होते। विधानपरिषद सदस्य सिंह ने कहा कि सरकार एक तरफ फिजूलखर्ची रोकने और पारदर्शिता के दावे करती रही और दूसरी तरफ जनता के पैसे को भ्रष्टाचार का पलीता लगाया जाता रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि 2019 में प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ, उस समय भी कुंभ में भ्रष्टाचार पर सवाल उठे लेकिन सरकार ने धर्म का आड़ लेकर उसपर पर्दा डाल दिया।

उन्होंने दावा किया कि कुंभ मेले के लिए 2743.60 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे जिसमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ और धन का अपव्यय किया गया। उन्होंने उदाहरण देते हुये कहा कि कुंभ मेले में जो 32 ट्रैक्टर खरीदे गए थे उनके रजिस्ट्रेशन नंबर मेल नहीं खाते, वह कार, मोपेड और स्कूटर के नंबर हैं।

सिंह ने कहा कि कैग की रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अभिलेखों से मेसर्स स्वास्तिक कंस्ट्रक्शन से संबंधित सत्यापन रिपोर्ट में उल्लिखित 32 ट्रैक्टरों की पंजीकरण संख्या के सत्यापन में पता चला कि 32 में से चार ट्रैक्टरों के पंजीकरण नंबर एक मोपेड, दो मोटरसाइकिल और एक कार के थे।

कुंभ मेले में आपदा राहत कोष से गृह (पुलिस) विभाग को 65.87 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, कैग ने इसपर भी सवाल उठाया है कि आपदा राहत कोष का उपयोग तो आपदा की स्थिति में होता है, ऐसे में आवंटित धन का अपवयय हुआ है।

सिंह ने कहा कि मेले में टिन, टेंट, पंडाल, बैरिकेडिंग आदि के लिए 105 करोड़ रुपये आवंटित थे, लेकिन इन मदों में मेला अधिकारी ने 143.13 करोड़ रुपये खर्च किए। वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा खरीदे गये 10 ड्रोन कैमरों पर 32.50 लाख रुपये की लागत आयी, लेकिन उनका उपयोग नहीं हुआ। (इनपुट समाचार एजेंसी भाषा से भी)