राजस्थान में कालेज शिक्षकों की अरसे से पदनाम बदलने की मांग को अब सरकार पूरा करेगी। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने यहां कालेज शिक्षकों के अधिवेशन में की। कालेज शिक्षक अब सहायक प्रोफेसर के तौर पर होंगे। नए पदनामों से अब कालेज शिक्षकों का दर्जा भी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों के समकक्ष हो जाएगा। राजस्थान विश्वविद्यालय व महाविद्यालय शिक्षक संघ पदनाम बदलने की मांग को लेकर सरकार से संघर्ष की तैयारी में भी था। संघ का कहना है कि कालेज शिक्षक पदनाम के कारण उन्हें दूसरे राज्यों में हीन भावना से देखा जाता है। संघ का दो दिन का प्रदेश अधिवेशन यहां चल रहा है। अधिवेशन के समापन पर गुरुवार को उनकी पदनाम बदलने की मांग को मुख्यमंत्री की तरफ से मंजूर करने पर सरकार का आभार भी जताया गया।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पदनाम बदलने की घोषणा करते हुए कहा कि अब कालेज शिक्षकों को तरक्की के बेहतर अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए कालेज शिक्षा सेवा नियमों जरूरी संशोधन किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि पहले कालेज शिक्षक की सेवा एक व्याख्याता के रूप में शुरू होती थी और रिटायर होने तक वह इसी श्रेणी में रहता था। पदनाम बदलने के साथ ही उन्हें अब सेवा में भी तरक्की के मौके मिलेंगे। प्रदेश के कालेज शिक्षक किसी भी योग्यता में विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों से कम नहीं है। कालेज शिक्षकों के जिम्मे प्रदेश के युवा वर्ग को पूरी तरह से शिक्षित कर देश निर्माण के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी होती है। इसमें कालेज शिक्षकों का अहम योगदान किसी से कम नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा से जुड़ी समस्याओं पर विचार कर सरकार उन्हें दूर करेगी। इसके साथ ही उच्च शिक्षा की गुणवता में सुधार की दिशा में भी कदम उठाए जाएंगे। राज्य के सभी सरकारी कालेजों में वाई-फाई सुविधा जल्द शुरू की जाएगी। सरकार ने पिछले तीन साल में प्रदेश में 28 नए कालेज खोले हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी सरकारी और निजी कालेजों में रोजगार प्रकोष्ठ बनाए जाएंगे। उच्च शिक्षा को गति देने के लिए सरकार जल्द ही 600 नए प्रोफेसर, 129 लाइब्रेरियन और 148 शारीरिक शिक्षकों की भर्ती करेगी। इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।