छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य बीजापुर जिले में सरकारी योजना में बांटे गए दूध के पीने से बच्चों की मौत के बाद राज्य शासन ने कलक्टरों और अन्य अधिकारियों को दूध चखकर गुणवत्ता करने के लिए कहा है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यहां बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत बच्चों को मीठा दूध देने से पहले उनका विश्वास बढ़ाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दूध की गुणवत्ता और स्वाद को खुद चखकर देखेंगी। दूध की गुणवत्ता सही पाए जाने पर ही बच्चों को मीठा सुगंधित दूध पिलाया जाएगा। वहीं जिला कलक्टर व अन्य अधिकारी भी आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से वितरित मीठे सुगंधित दूध को स्वयं चखकर दूध की गुणवत्ता और स्वाद को परखेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में महिला व बाल विकास विभाग ने राज्य के सभी जिला कलक्टरों, जिला कार्यक्रम अधिकारियों और जिला महिला व बाल विकास अधिकारियों को परिपत्र जारी कर दिया है। महिला व बाल विकास विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ने बताया कि मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के तीन से छह वर्ष के बच्चों को सप्ताह में एक दिन सोमवार को मीठे सुगंधित दूध (100 मिलीग्राम प्रति बच्चा) का वितरण आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सामने किया जाएगा।
दूध का पैकेट खुलने के बाद यदि दूध बचता है, तो बचे हुए दूध को तुरंत अन्य बच्चों को आवश्यकता या क्षमता के अनुसार अनिवार्यत: वितरित कर दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत बांटे गए सुगंधित दूध पीने के बाद दो बच्चियों की मौत हो गई थी।