मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का कहना है कि केंद्र की अपर्याप्त प्रतिपूर्ति के कारण प्रदेश को वित्तीय नुकसान हो रहा है। उन्होंने केंद्रीकृत अनाज खरीद प्रणाली अपनाने की मांग की। सीएम ने केंद्र सरकार से विकेंद्रीकृत खरीद योजना के बजाय केंद्रीकृत खरीद योजना के तहत काम करने की अनुमति देने का आग्रह किया। सीएम ने इसके पीछे तर्क दिया कि इस कदम से राज्य पर वित्तीय बोझ कम होगा और सुचारू प्रतिपूर्ति सुनिश्चित होगी।

सीएम यादव ने कहा कि दावों के निपटान में देरी और केंद्र से अपर्याप्त प्रतिपूर्ति के कारण राज्य को काफी वित्तीय नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित अनंतिम और अंतिम लागत पत्रों के अनुसार वास्तविक लागत की प्रतिपूर्ति नहीं की जा रही है।” मुख्यमंत्री ने बढ़ते वित्तीय घाटे और पुनर्भुगतान चुनौतियों का हवाला देते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी को पत्र लिखकर केंद्रीकृत खरीद प्रणाली अपनाने की अनुमति मांगी है।

MP को कर्ज़ों का भुगतान करना मुश्किल साबित हो रहा- मोहन यादव

मोहन यादव ने 14 अक्टूबर को लिखे अपने पत्र में कहा कि मौजूदा विकेन्द्रीकृत खरीद प्रणाली (DCP) के तहत मध्य प्रदेश ने राष्ट्रीय खाद्यान्न खरीद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और देश के गेहूं में लगभग 26 प्रतिशत, चावल में 6 प्रतिशत का योगदान दिया है। उन्होंने लिखा, “इससे न केवल राज्य के किसानों के हितों की रक्षा होगी बल्कि मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में गरीब आबादी को भी लाभ होगा।”

मुख्यमंत्री के अनुसार, मध्य प्रदेश ने हाल के वर्षों में 77.74 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 43.49 लाख मीट्रिक टन धान की ख़रीद की है। उन्होंने लिखा ख़रीद कार्यों को जारी रखने के लिए राज्य ने बैंकों से 7,217.7 करोड़ रुपये का कर्ज़ लिया है और इन कर्ज़ों का भुगतान मुश्किल साबित हो रहा है।

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डीसीपी के तहत, राज्य सरकारें किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सीधे गेहूं और धान खरीदती हैं। साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत इन अनाजों का भंडारण और वितरण करती हैं। दूसरी ओर, केंद्रीकृत प्रणाली में, भारतीय खाद्य निगम (FCI) या उसकी एजेंसियां केंद्र की ओर से खाद्यान्न खरीदती हैं और स्थानीय उपयोग के लिए भंडारित अनाज या कमी का सामना कर रहे राज्यों को हस्तांतरित कर देती हैं।

बदलाव का किसानों पर नहीं पड़ेगा कोई असर

राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि इस बदलाव का किसानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार किसान हितैषी है। हम किसानों की उपज का एक-एक दाना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने पहले भी ऐसा किया है और आगे भी करते रहेंगे।” यह स्पष्ट करते हुए कि इस बदलाव से केवल लेखा प्रक्रियाओं में बदलाव आएगा।

गोविंद राजपूत ने कहा, “केंद्रीकृत प्रणाली के तहत, ज़मीनी स्तर पर किसानों के लिए कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। पंजीकरण, ख़रीद केंद्र और समितियों के माध्यम से ख़रीदी पहले की तरह ही जारी रहेगी। सिर्फ़ लेखा-जोखा में बदलाव होगा।” मंत्री ने कहा कि विकेंद्रीकृत प्रणाली के तहत, राज्य प्रारंभिक खरीद खर्च वहन करता है जबकि केंद्र से प्रतिपूर्ति में अक्सर लंबा समय लगता है, जिससे राज्य के वित्तीय हित प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीकृत प्रणाली अपनाने से राज्य पर वित्तीय बोझ कम होगा।

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