महानगर के पार्क स्ट्रीट गैंग रेप में गिरफ्तार तीन अभियुक्तों के प्रति नरमी दिखाने की कीमत इस मामले की सरकारी वकील श्रावणी राय को अपने पद से चुकानी पड़ी है। अपनी और सरकार की छवि सुधारने की कवायद के तहत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें उनके पद से हटा दिया है। सरकारी वकील ने शुक्रवार को जज से इस मामले में न्यूनतम सजा देने की अपील की थी। इस बात का खुलासा होने के बाद सरकारी वकील की काफी किरकिरी हुई थी। इसके बाद ही ममता ने शनिवार को राय को उनके पद से हटाने का फैसला किया।
महानगर की एक अदालत ने इस मामले के तीनों दोषियों-सुमित बजाज, रूमान खान और नसीर खान को 10-10 साल की सजा सुनाई थी। उनके खिलाफ जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ था उनमें न्यूनतम 10 साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। सजा सुनाने से पहले जज ने अभियुक्तों और दोनों पक्षों के वकीलों से बातचीत की थी। इसी दौरान सरकारी वकील ने जज से न्यूनतम सजा देने की अपील की थी। पीड़िता सुजैट जार्डन के परिजनों ने अभियुक्तों को मिली सजा पर असंतोष जताया है।
जानकारों का कहना है कि सरकारी वकील ने इस मामले को कमजोर कर दिया वरना अभियुक्तों को और कड़ी सजा मिलती। इस मामले में किरकिरी होने के बाद सरकारी वकील को हटाना ममता की राजनीतिक मजबूरी थी। वैसे भी घटना के बाद खुद ममता ने जब इसे मनगढ़ंत व सरकार को बदनाम करने की साजिश करार दिया था तब उनकी काफी किरकिरी हुई थी। अब सजा के एलान के बाद खासकर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए वे कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहते थे। इसलिए उन्होंने फौरन सरकारी वकील को उनके पद से हटाने का फैसला किया। सूत्रों के मुताबिक, इस फैसले के जरिए ममता ने एक ओर जहां सुजैट के परिजनों के प्रति सहानुभूति दिखाने का प्रयास किया है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष का मुंह बंद रखने का भी प्रयास किया है ताकि इस मामले में कोई सरकार पर अंगुली नहीं उठा सके।
सुजैट जार्डन के परिजनों ने इस मामले के तीन दोषियों को मिली कम सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने का फैसला किया है। सुजैट के पिता ने कहा कि पहले सजा सुन कर लगा कि चलो ठीक है। लेकिन जब पता चला कि सरकारी वकील ने अभियुक्तों का बचाव किया तो मुझे लगा कि कहीं कुछ गलत हुआ है। सरकारी वकील ने जज से अभियुक्तों को न्यूनतम सजा देने की अपील की थी और उसी के मुताबिक उन सबको न्यूनतम सजा मिली है।
पीटर ने सवाल किया कि क्या सरकारी वकील को पता नहीं है कि मेरी बेटी मर चुकी है? अगर सरकारी वकील आपकी ओर से इतने लंबे अरसे से लड़ रहा है तो सजा भी दोष के मुताबिक ही मिलनी चाहिए। सरकारी वकील किसी भी हालत में अभियुक्तों का समर्थन नहीं कर सकता। सुजैट के पिता ने सवाल किया कि आखिर ऐसा कैसे हुआ? इसलिए हमने इस सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाने का फैसला किया है। हम इतनी कम सजा से खुश नहीं हैं। कम से कम सरकारी वकील की भूमिका ने पूरे मामले पर सवालिया निशान लगा दिया है।