मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार (9 जुलाई 2019) को प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय लोगों को 70 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया। सीएम ने कहा है कि सरकार इसके लिए कानून लाएगी। बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे मध्य प्रदेश के नौजवानों के लिए सरकार का यह कदम काफी अहम माना जा रहा है। विधानसभा में सीएम ने कहा कि ‘राज्य सरकार जो कानून लेकर आएगी उसमें निजी कंपनियों के साथ-साथ सरकारी कंपनियों में भी मध्य प्रदेश के युवाओं के लिए 70 फीसदी आरक्षण अनिवार्य होगा।’

उन्होंने आगे कहा ‘हमने औद्योगिक प्रोत्साहन नीति में पहले ही बदलाव कर दिया है। अब कंपनियों को मध्य प्रदेश में निवेश पर प्रोत्साहन और अन्य लाभ तभी मिलेंगे जब वे मध्य प्रदेश के निवासियों को 70% रोजगार प्रदान करेंगे। हम अब इस संबंध में एक कानून बनाने जा रहे हैं। गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में प्रतियोगी परीक्षाओं में स्थानीय भाषा का प्रश्नपत्र होता है, जिससे वहां की प्रतियोगी परीक्षाओं में मध्यप्रदेश के युवाओं के लिए अवसर कम हो जाते हैं।’

मालूम हो कि कांग्रेस ने 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में अपने चुनावी घोषणापत्र में स्थानीय लोगों को नौकरियों में आरक्षण देने का वादा किया था। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नाथ ने उद्योगिक नीतियों में बदलाव कर दिया था जिससे प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 70 फीसदी आरक्षण मिल सके। उन्होंने कहा था कि प्रदेश में स्थानीय आबादी के हिस्से का रोजगार बिहार और उत्तरप्रदेश के लोगों को मिल जाता है।

हालांकि बीजेपी ने सीएम के इस एलान को नौटंकी करार दिया है। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस ने तो मध्य प्रदेश के लोगों को बेरोजगारों भत्ता देने का भी वादा किया था लेकिन अबतक नहीं दिया। सरकार जो कानून बनाने की योजना बना रही है वह सिर्फ उनकी नौटंकी है। सरकार इसके जरिए रोजगार से जुड़े सवालों को दबाना चाह रही है।