केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) ने अपनी स्थापना के 50 साल पूरे होने के मौके पर स्वर्ण जयंती हिमालयन अभियान की शुरुआत की है। इसके तहत सीआइएसएफ के जवान हाथों में अत्याधुनिक हथियारों के बजाए झाड़ू और कूड़ा-कचरा साफ करने के अन्य सामान लेकर हिमालय की वादियों में सफाई करते नजर आएंगे। इसके अलावा बल के जवानों ने यहां पौधरोपण अभियान भी शुरू किया है। वहीं, ये जवान गंगा और उसकी सहायक नदियों में जमा गंदगी साफ करते हुए भी दिखाई देंगे। सीआइएसएफ ने अपनी स्थापना के पचास साल पूरे होने पर पर्यावरण व हिमालय संरक्षण का अभियान जोर-शोर से शुरू किया है। सीआइएसएफ का यह नौ दिवसीय अभियान हिमालय की वादियों की सफाई और हरिद्वार में गंगा की सफाई के साथ एक नवंबर को खत्म होगा। इस नौ दिवसीय अभियान की शुरुआत 24 अक्तूबर को हरिद्वार के बीएचईएल स्थित केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल के परिसर से हुई थी।
सीआइएसएफ जवानों के 30 सदस्यीय दल को बल के महानिदेशक राजेश रंजन ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दल में 15 पुरुष व 15 महिला सदस्य शामिल हैं, जो साइकिल पर सवार होकर पहाड़ों के दुर्गम रास्तों की ओर रवाना हुए। तीस सदस्यीय साइकिलिंग दल के अलावा 40 सदस्यीय ट्रैकिंग, कायाकिंग और रॉफ्टिंग दल भी रवाना हुआ। साइकिलिंग दल ने हरिद्वार से व्यासी और व्यासी से दुग्गलबिटा की 165 किलोमीटर की दूरी तय की। साथ ही इस अभियान दल ने गढ़वाल के चोपटा में पर्यटकों द्वारा जगह-जगह छोड़े गए कचरे को भी साफ किया। साथ ही नुक्कड़ नाटकों और जनजागरण रैली निकालकर स्थानीय जनता और पर्यटकों को पहाड़ों पर कूड़ा-कचरा नहीं फैलाने के लिए जागरूक किया। अभियान दल ने गढ़वाल मंडल के दुग्गलबिटा, शारी, देवरिया ताल, केदारघाटी के चंद्रपुरी से कार्तिक स्वामी और वहां से कार्तिक स्वामी शिखर व मंगू गांव तक स्वच्छता और जनजागरूकता अभियान चलाया। मंदाकिनी नदी को साफ करने के लिए कैयाकिग अभियान चलाया। इस अभियान दल ने रुद्रप्रयाग से श्रीनगर तक साइकिल अभियान चलाकर लोगों में स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैलाई और हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को इस अभियान दल में शामिल किया। दल ने श्रीनगर से व्यासी तक 72 किलोमीटर की दूरी तय की और व्यासी से आगे रॉफ्टिंग कर लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता फैलाई।
बल के अभियान दल के सदस्यों ने पर्वतीय क्षेत्रों के कई गांवों में चैपाल लगाई और ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया। साथ ही दल ने उत्तराखंड की महिलाओं को सीआइएसएफ में शामिल होने के लिए भी प्रेरित किया। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के स्कूल-कॉलेजों में सीआइएसएफ के हथियारों की प्रदर्शनी लगाई और बल के 50 साल के स्वर्णिम इतिहास से छात्र-छात्राओं को परिचित कराया। सीआइएसएफ में नौ फीसद महिलाएं शामिल हैं, जो अन्य केंद्रीय सुरक्षा बलों से बहुत ज्यादा हैं, लेकिन इसमें उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की महिला जवानों की भागीदारी अन्य राज्यों की महिला जवानों के मुकाबले बहुत कम है। सीआइएसएफ सामाजिक कार्यों में भी बहुत तेजी से भागीदारी कर रही है।
बल देश के औद्योगिक संस्थानों और हवाई अड्डों की सुरक्षा के साथ-साथ अपने सामाजिक दायित्वों को भी समर्पित भाव से पूरा कर रहा है। बिगड़ते पर्यावरण से मानव जीवन लगातार खतरे में है। इसीलिए बल ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हिमालय स्वर्ण जयंती हिमालयन अभियान की शुरुआत की है क्योंकि हिमालयी क्षेत्रों में जो पर्यटक आते हैं, वे कूड़ा-कचरा यहीं छोड़कर चले जाते हैं। हमारे अभियान दल ने इस कचरे को साफ करने के साथ-साथ लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए जनसंवाद के कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं। – राजेश रंजन, महानिदेशक, सीआइएसएफ

