जालंधर लोकसभा उपचुनाव से पहले कुछ ईसाईयों ने यूनाइटेड पंजाब पार्टी का गठन किया है। रविवार को ईस्टर के मौके पर लुधियाना की होली फैमिली चर्च में सैकड़ों ईसाई इकटठा हुई थे। इसी दौरान, पार्टी लॉन्च की गई। जालंधर में 10 मई को होने जा रहे लोकसभा उपचुनाव के जरिए पार्टी राजनीति में उतरने की योजना बना रही है। वैसे अभी पार्टी का चुनाव आयोग के पास रजिस्ट्रेशन होना बाकी है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनाइटेड पंजाब पार्टी के अध्यक्ष एल्बर्ट दुआ हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद ईसाईयों से बहुत से वादे किए गए, लेकिन वे सिर्फ वादे थे उन्हें कभी पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा, “हमारे पास पंजाब के विभिन्न हिस्सों में बड़ी संख्या में मतदाता हैं। हमारे पास स्थानीय चुनावों, विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अपना उम्मीदवार होना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि ईसाईयों पर धर्मांतरण के आरोप लगाए गए हैं, जो पूरी तरह से झूठे हैं।

एल्बर्ट का मानना ​​है कि राज्य में ईसाई समुदाय के लिए खतरा है। पार्टी अध्यक्ष ने कहा, “लुधियाना के पीरुबंडा मोहल्ला इलाके में 15 जुलाई, 2017 की शाम एक पादरी सुल्तान मसीह की एक चर्च के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हमारे समुदाय को अब धर्मांतरण के झूठे आरोपों के साथ निशाना बनाया जा रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि यूपीपी में सिर्फ ईसाई शामिल नहीं होंगे, बल्कि यह एक किसान के प्रतीक के साथ एक सर्व-समावेशी पार्टी होगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस का आरोप है कि पार्टी का गठन उसका वोट बैंक बांटने के लिए किया गया है। पार्टी के नेता प्रताप सिंह बाजवा का कहना है कि परंपरागत रूप से कांग्रेस को ईसाईयों का 90 फीसदी वोट मिला, जबकि अकाली दल को 10 फीसदी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दो पादरी हैं जिन पर ईडी की कार्रवाई हुई थी, उन्हीं में से एक ने इस पार्टी का गठन किया है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने यूपीपी को लेकर कहा कि चुनाव के समय नई पार्टियां उभरती हैं और नई, छोटी, बड़ी सभी पार्टियां चुनावों में हिस्सा लेती हैं। मुझे नहीं लगता कि किसी को इससे कोई आपत्ति होनी चाहिए।