बिहार की राजनीति में बदलाव का संकेत देते हुए लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार पैदल चलकर नेता प्रतिपक्ष के घर इफ्तार में जा रहे लेकिन PM मोदी के उस कार्यक्रम में नहीं, जहां पश्चिम बंगाल की सीएम समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री आए।
चिराग पासवान ने कहा कि जिस तरह से एनडीए गठबंधन के घटक दलों के बीच का विरोधाभास अब खुल कर सामने आ रहा है, कोई बड़ा बदलाव होने वाला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में सारे विपक्षी दलों के मुख्यमंत्री तक आए, पर बिहार के सीएम वहां अनुपस्थित रहे। चिराग ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस तरह से पैदल चलकर नेता प्रतिपक्ष के घर इफ्तार में पहुंचे उससे साफ है कि वो पहले अपनी कुर्सी बचाने की कोशिश कर रहे हैं और ये बात मैं काफी पहले से कहता आ रहा हूं।
कुर्सी बचाने में लगे नीतीश कुमार: चिराग पासवान ने कहा कि आज की तारीख में कहीं न कहीं ये सुगबुगाहट तो है ही कि भारतीय जनता पार्टी अपने मुख्यमंत्री देने का प्रयास कर रही है तो ऐसे में अपनी कुर्सी बचाने के लिए नीतीश कुमार को जो विकल्प बेहतर लगेगा उसे वो चुनेंगे। उन्होंने कहा कि कॉमन सिविल कोड, लाउडस्पीकर, जातीय जनगणना, पेगासास, जनसंख्या नियंत्रण कानून और विशेष राज्य का दर्जा सहित ऐसी कई दीवारें हैं दोनों गठबंधन के बीच। पर जो दरार दोनों दलों को अलग करने के लिए जिम्मेदार होगी, वो मुख्यमंत्री की कुर्सी की बात होगी।
गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं: चिराग ने ये भी कहा, “सीएम नीतीश कुमार जब महागठबंधन के साथ गए थे तब भी उनके दिमाग में मुख्यमंत्री की कुर्सी थी, साथ ही जब 2017 में वो रातों-रात एनडीए गठबंधन के साथ आए तब भी प्राथमिकता उनके लिए कुर्सी ही थी।” लोक जनशक्ति पार्टी के नेता ने कहा कि तीसरे नंबर की पार्टी होने के बावजूद आज अगर वो सीएम बने हुए हैं तो उनकी प्राथमिकता सिर्फ कुर्सी ही है।
चिराग पासवान ने कहा कि अगर मुद्दे नीतीश कुमार के लिए महत्वपूर्ण होते तो विशेष राज्य की मांग वो आज कर रहे होते। 2017 में गठबंधन में आने पर या 2019 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने ये मांग क्यों नहीं की? उन्होंने कहा कि ये मुद्दे मुख्यमंत्री जी के लिए सिर्फ बहाना बनते हैं गठबंधन से अलग होने का। पर गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा ये जरूर कहा जा सकता है।