छत्तीसगढ़ में नियमित किये जाने की मांग को लेकर दो महीने से हड़ताल कर रहे 12 हजार से अधिक मनरेगा से जुड़े संविदा कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया है। कर्मचारियों की ओर से यह कदम शुक्रवार को राज्य सरकार की ओर से मनरेगा के तहत आने वाले 21 असिस्टेंट प्रोजेक्ट कर्मचारियों को बर्खास्त करने के बाद उठाया गया है।
मनरेगा कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष टीकमचंद कौशिक ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के कर्मचारी अप्रैल से सभी को नियमित करने, सामान वेतन और कई अन्य मांगों को लेकर अप्रैल से धरना दे रहे हैं।
आगे उन्होंने कहा कि शुक्रवार (3-मई-2022) को राज्य सरकार की ओर से अचानक बिना किसी कारण के 21 एपीओ कर्मचारियों की सेवा को समाप्त कर दिया गया। राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ और हमारी मांग के समर्थन में 9 हजार रोजगार सहायकों समेत 12,371 मनरेगा के तहत आने वाले कर्मचारियों ने इस्तीफा दिया है।
मनरेगा के तहत टेक्निकल असिस्टेंट के रूप में कार्य करने वाले कौशिक ने बताया कि “सत्ताधारी दल की ओर से 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया गया था कि सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा, लेकिन अभी तक राज्य सरकार की ओर से इसे लेकर कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। हमें अपनी जिंदगी को बेहतर ढंग से जीने के लिए नौकरी की सुरक्षा चाहिए। हमने अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा इस नौकरी को दिया है।”
पिछले महीने संविदा कर्मचारियों के आंदोलन को देखते हुए राज्य सरकार ने मनरेगा के तहत आने वाले रोजगार सहायकों का मानदेय 5 हजार रुपए से बढ़ाकर 9,540 रुपए कर दिया गया था। वहीं, संविदा कर्मचारियों की अन्य मांगों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से उस समय कहा गया था कि मनरेगा कर्मचारियों की मांग पर एक समिति बनाकर विचार करेगी।
मनरेगा कर्मियों की ओर से लंबे समय से सिविल सेवा नियम 1966 और पंचायत कर्मी नियमावली लागू करने की मांग की जा रही है। इसे लेकर मनरेगा कर्मियों ने दंतेवाडा जिले में सरकार का खिलाफ एक दांडी मार्च भी निकाला गया था, जिसे सहायक कर्मियों की ओर तिरंगा मार्च नाम दिया गया था।