दंतेवाड़ा के कुख्यात नक्सली लीडर मिड़कम राजू की तलाश में छत्तीसगढ़ की पुलिस फोर्स और एसटीएफ ने जमीन-आसमान एक कर दिया है। पुलिस फोर्स उसे जिंदा या मुर्दा तलाशने तक खोजना चाहती है। लेकिन इस तलाश का सबसे ज्यादा दर्द नक्सली कमांडर राजू के परिवार को भोगना पड़ रहा है, जो अभी भी गांव में रह रहा है।
सर्च पार्टी पर किया था हमला: दरअसल मिड़कम राजू छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सूरनार के जंगलों का नक्सली कमांडर है। उसने दो दिन पहले ही सर्चिंग पर निकली पुलिस और एसटीएफ की पार्टी पर हमला किया था। हमले के दौरान पुलिसकर्मी आड़ लेने में सफल रहे और कोई हताहत नहीं हुआ। पुलिसकर्मियों ने जब मोर्चा संभाला तो नक्सली गहरे जंगल में भाग खड़े हुए। पुलिस को मुखबिर से खबर मिली थी कि मिड़कम राजू हमले से पहले और बाद में घर आया था। बताया गया कि पुलिस की सर्च पार्टी की लोकेशन भी गांव वालों से ही मिली थी।

पुलिस टीम पर तोड़फोड़ का आरोप: बताया गया कि पुलिस पार्टी और एसटीएफ गांव के संदिग्धों से पूछताछ करने के लिए मिड़कम राजू के गांव में पहुंची थी। पुलिस ने राजू के घर पर भी छापा मारा। वहां पर पुलिस को राजू की पत्नी पायके और उसके बच्चे मिले। पायके का आरोप है कि इस दौरान जवानों ने राजू के घर में तोड़फोड़ की। सामानों को बिखेर दिया। मकान की छत पर लगे शेड को भी तोड़ा गया। ग्रामीणों ने बताया कि पायके की बात जवानों ने नहीं सुनी और घर को लगातार क्षति पहुंचाते रहे।
बारिश में मैं कहां जाऊंगी?: गांव वालों के मुताबिक पायके ने पुलिस फोर्स से कहा,”मेरा पति नक्सली है, उसे गिरफ्तार करो, चाहे एनकाउंटर कर दो। मैं कुछ नहीं बोलूंगी, लेकिन मेरे घर को मत तोड़ो। आखिर छोटे बच्चों को लेकर बारिश में कहां जाऊंगी?” इस दौरान गांव के करीब एक दर्जन ग्रामीणों ने भी फोर्स पर मारपीट का आरोप लगाया। ग्रामीणों का आरोप है कि फोर्स ने उन्हें नक्सली कहते हुए उनसे मारपीट की है। मंगलवार (19 जून) की शाम सूरनार के ग्रामीणों ने थाने में फोर्स की कार्रवाई की शिकायत की है।

गांव वालों को परेशान न करे पुलिस: फोर्स की इस हरकत की जिला पंचायत सदस्य भीमसेन मंडावी ने निंदा की है। मंडावी ने कहा,”पुलिस फोर्स मिड़कुम राजू उर्फ हीरालाल को गिरफ्तार करे चाहें एनकाउंटर करे। लेकिन परिवार और गांव वालों को बेवजह परेशान न करे। रविवार की रात फोर्स गांव में पहुंची थी। मिड़कुम के संबंध में पूछताछ करने लगी। जब कुछ लोगों ने पूछताछ के तरीके का विरोध किया तो मारपीट पर उतारू हो गई। ये तरीका गलत है।”

पुलिस को बदनाम करने साजिश: इस पूरे मामले पर कटेकल्या थाने के टीई विजय पटेल ने इसे पुलिस को बदनाम करने की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि रविवार की रात कोई भी जवान सूरनार की बस्ती में नहीं गया है। फोर्स जंगल में सर्च पर थी, लेकिन वह गांव में नहीं गई है। ग्रामीणों ने जवानों की शिनाख्त में अनाज लूटने वालों को पहचानने से इंकार किया है। ग्रामीणों के आवेदन पर मामले की जांच कराई जाएगी। इलाके में फोर्स के दबाव के चलते नक्सलियों की भी यह साजिश हो सकती है। रविवार की सुबह आपूपारा और बिल्लईपारा के जंगलों में नक्सलियों से पुलिस टीम की मुठभेड़ हुई थी।