छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के पहले इंटेलिजेंस विभास ने केवल राजधानी स्थित मुख्यालय की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेशभर के अपने कार्यालय की फाइलें मंगवाकर उन्हें जलाया है। शुक्रवार को इस खुलासे के बाद ये मामला और अधिक गरमा गया है। ऐसे में एक तरफ जहां कांग्रेस के साथ-साथ दूसरे राजनीतिक दलों ने इस पर शक जाहिर करते हुए सवाल खड़े किए हैं। तो वहीं दूसरी ओर खूफिया विभाग ने जांच करवाने की घोषणा कर चुप्पी साध ली है।
अफसर नहीं दे रहे बयान
फाइलें जलाने के मामले में अभी तक किसी भी अफसर की तरफ से कोई बयान नहीं आया हैं । ऐसे में शुक्रवार को खुलासा हुआ है कि अफसरों ने केवल रायपुर स्थित मुख्यालय की फाइलें नहीं जलाई हैं। बल्कि उन्होंने राज्यभर में इंटेलिजेंस के जितने भी ऑफिस हैं, वहीं से दस्तावेज मंगवाकर उन्हें जलाया है।
सूचना लीक होने से नाराज हैं अफसर
जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को इस मामले को लेकर काफी उथल पुथल मची रही। अफसर इस बात से हैरान हैं कि इंटेलिजेंस के ऑफिस से चुपचाप रवाना किए गए ट्रकों के बारे में खबरे कैसे लीक हो गई। इस बात से अफसर के काफी नाराज होने की खबरें भी सामने आ रही हैं।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि गुरुवार को इंटेलिजेंस के अफसरों ने सुबह अपने ऑफिस से दो ट्रक फाइलों का जखीरा रवाना किया। पूरी फाइलें अवंति विहार के खाली मैदान में डंप कर वहां जलाई गईं। इस मामले को लेकर सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं क्योंकि अफसर पूरी फाइलें जलने तक वहीं खड़े थे। उन्होंने एक एक फाइल खुद आग में झोंकीं।
सरकार बदलते ही क्यों जलाई फाइलें
इस पूरे मामले पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने पूछा कि सरकार के शपथग्रहण करने के पहले दस्तावेजों को क्यों जलाया गया? यदि दस्तावेज गैर जरूरी थे तो उसको नष्ट करने का काम आने वाली सरकार करती।
एफआईआर की मांग
छत्तीसगढ़ समाज पार्टी ने एफाईआर करने की मांग की है। पार्टी के अध्यक्ष अनिल दुबे, लाला राम वर्मा सहित अन्य पदाधिकारियों पर आरोप लगाया कि 15 साल से विरोधी नेताओं संबंधित एवं झीराम घाटी नरसंहार के भ्रष्टाचार सहित अवैानिक कामों के आदेश की प्रतियां नई सरकार के गठन के पहले ही जला दी गई।