छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी सरकार ने मंगलवार को अपना पहला कैबिनेट विस्तार किया। इस दौरान कांग्रेस ने 9 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलायी, जिसके बाद छत्तीसगढ़ कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। इस दौरान मंत्री बनने वाले विधायकों में एक विधायक ऐसे भी थे, जो पढ़-लिख नहीं सकते थे और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने खुद पढ़कर उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलायी। ये विधायक हैं कवासी लखमा। कवासी लखमा छत्तीसगढ़ की कोंटा विधानसभा सीट से चुनकर सदन में पहुंचे हैं। लखमा का बचपन गरीबी में बीता और वह कभी स्कूल नहीं जा सके। खास बात ये है कि कवासी लखमा साल 1998 से लगातार कोंटा विधानसभा सीट से विधायक चुने जा रहे हैं।
एबीपी न्यूज की एक खबर के अनुसार, मंगलवार को आयोजित हुए शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कवासी लखमा जब मंत्री पद की शपथ लेने मंच पर पहुंचे तो उनके हाथ में शपथ पत्र तो था, लेकिन वह इसे पढ़ नहीं पा रहे थे। इस पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कवासी लखमा की जगह शपथ पत्र पढ़ा और कवासी लखमा ने उनकी कही हुई बात दोहरायी। शपथ ग्रहण समारोह के बाद जब कवासी लखमा से एबीपी न्यूज ने बात की तो उन्होंने कहा कि “मैं एक गरीब परिवार में पैदा हुआ और कभी भी स्कूल नहीं गया, लेकिन इसके बावजूद देश की सबसे बड़ी पार्टी ने मुझे चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया। समाज के सभी तबके से लोग, जिनमें बिजनेस क्लास, गरीब और युवा आते हैं, सभी मुझे प्यार करते हैं। मैं औपचारिक पढ़ाई नहीं हासिल कर सका, लेकिन इसके बावजूद मंत्री बना हूं। अब मैं गरीब लोगों के लिए काम करूंगा।”
जब कवासी लखमा से पूछा गया कि पढ़ने-लिखने में सक्षम ना होने के कारण वह मंत्री के रुप में कैसे अपनी जिम्मेदारियां निभाएंगे? और विभिन्न फाइलों आदि पर साइन कैसे करेंगे? इसके जवाब में कवासी लखमा ने कहा कि “भगवान ने मुझे वो बुद्धिमत्ता दी है, मैं पिछले 20 सालों से विधायक हूं। इस दौरान मुझ पर कभी भी भ्रष्टाचार और बेईमान होने के आरोप नहीं लगे। मुझे यकीन है कि मैं मंत्री के रुप में भी अपनी जिम्मेदारियां ठीक तरह से निभाऊंगा।” बता दें कि कवासी लखमा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पुराने नेताओं में शुमार किए जाते हैं। कांग्रेसी नेताओं पर साल 2013 में हुए नक्सली हमले के दौरान कवासी लखमा सुरक्षित बचे लोगों में शामिल थे। सुकमा जिले के दरभा घाटी इलाके में हुए नक्सली हमले में 27 लोगों की मौत हुई थी। इस हमले में जान गंवाने वाले लोगों में पूर्व राज्य मंत्री महेंद्र कर्मा, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के चीफ नंद कुमार पटेल और विद्या चरण शुक्ला शामिल थे।
