छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से एक हैरान कर देने वाले खबर आयी है। यहां एक प्राथमिक स्कूल के बच्चे को जिसके हाथ-पैर नहीं हैं, उसे विकलांगता सर्टिफिकेट के बिना ट्राइसिकल नहीं दी गई। कक्षा तीन के इस छात्र ने बताया कि वह कई शिविर में जा चुका है लेकिन उसे ट्राइसिकल नहीं मिली। मामले में रायगढ़ के प्रभारी सीएमएचओ ने कहा कि धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ नही होने के कारण वहां विकलांगता सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहा है।
मामला रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़-खरसिया मार्ग पर स्थित मुनुंद गांव का है। यहां रहने वाले मजदूर कृष्ण कुमार के 9 वर्षीय पुत्र गोविंद ने दैनिक भास्कर से बताया कि वह दोनों हाथ-पैर से विकलांग है। उसके दादा घासीराम रोज उसे उठाकर स्कूल लाते और ले जाते हैं। गोविंद के लिए स्कूल में मौखिक परीक्षा आयोजित कराई जाती है क्योंकि हाथ और पैर दोनों ही के न होने की वजह से वह मुंह से पेन पकड़कर लिखता है।
गोविंद ने बताया कि उसके पास विकलांगता सर्टिफिकेट नहीं है इसलिए उसे ट्राइसिकल नहीं दी गयी। उसने कहा, कई बार हम शिविर में गए लेकिन कोई ट्राइसिकल देता ही नहीं। मैं सोच रहा हूं ट्राइसिकल से स्कूल जाऊं… बड़ा मजा आएगा… लेकिन वो कैसे आएगी? बकौल गोविंद हम तीन बार रायगढ़ कलेक्ट्रेट भी गए लेकिन फिर भी मुझे ट्राइसिकल नहीं मिली।
गोविंद ने बताया कि सहपाठी बच्चे उसकी मदद करते है। वह पेन को मुंह से पकड़कर लिखता है, जब कभी पेन गिर जाता है तो सहपाठी उठाकर मुंह में रख देते हैं। उसके दादा उसे उठाकर लाते है और छुट्टी होने तक उसका इंतजार करते है। स्कूल में खाने की छुट्टी होने पर गोविंद के दादा उसे खाना खिलाते हैं। विकलांगता सर्टिफिकेट की बात पर रायगढ़ के प्रभारी सीएमएचओ डॉ टीके टोंडर का कहना है कि धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल में कोई हड्डी रोग विशेषज्ञ है ही नहीं इसलिए वहां विकलांगता सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहा। लेकिन बच्चे का सर्टिफिकेट रायगढ़ में बन जाएगा।