सैकड़ों करोड़ रुपये के सृजन घपले की जांच कर रही सीबीआई ने भागलपुर पुलिस थाने में दर्ज 9 और मामलों की एफआईआर अपने हाथ में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस सिलसिले में सीबीआई के एसपी किरण एस ने बिहार के पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर को 16 जनवरी को पत्र लिख एफआईआर की प्रमाणित कॉपी और अबतक हुई पुलिस जांच की रिपोर्ट मांगी है। इधर भागलपुर के ज़िलाधीश आदेश तितमारे ने गिरफ्तार ज़िला नजारत के नाजिर (लेखाकार) अमरेंद्र कुमार यादव को निलंबित कर दिया है। इस बावत बिहार पुलिस महानिदेशक दफ्तर से 24 जनवरी को लिखा पत्र एसएसपी को मिला है। जिसमें इन मामलों से सीबीआई को अवगत कराने का निर्देश है। वैसे एसएसपी मनोज कुमार ने पहले ही इन मामलों को सुपुर्द करने के वास्ते गृह महकमा को लिख चुके है। शनिवार (20 जनवरी) को अमरेंद्र कुमार को सीबीआई ने गिरफ्तार कर पटना सीबीआई कोर्ट में पेश किया था। और तीन रोज के रिमांड की अर्जी दी थी। जज गायत्री प्रसाद ने रिमांड की अर्जी मंजूर कर ली थी। उसे 21 जनवरी को भागलपुर केंद्रीय कारा लाकर वापस पूछताछ के लिए कागजी खानापूरी कर अपने साथ ले गई। सूत्र बताते हैं कि इससे गहन पूछताछ गिरफ्तारी के पहले भी सीबीआई के अधिकारियों ने की थी। इस शख्स ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी और राज उगले हैं। तभी इसकी गिरफ्तारी भी हुई है।

कयास लगाए जा रहे है कि जल्द ही सीबीआई और गिरफ्तारियां कर सकती है। इससे पहले हुई 18 सरकारी, बैंक और सृजन घोटाले से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों की गिरफ्तारी एसआईटी ने की थी। जिनमें से एक महेश मंडल की मौत न्यायिक हिरासत में हो चुकी है। सात लोगों की जमानत सीबीआई कोर्ट से हो चुकी है। इनमें से दो लोगों, दी सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक के प्रबंधक पंकज कुमार झा और लेखा प्रबंधक हरिशंकर उपाध्याय के खिलाफ सीबीआई ने जमानत के बाद दूसरे मामले में आरोप पत्र दाखिल किया इसके बाद ये जेल से बाहर नहीं आ सके हैं। बाकी सुधांशु कुमार दास, सुनीता चौधरी, अशोक कुमार अशोक, विजय कुमार गुप्ता ( सभी कॉपरेटिव बैंक के हैं) और ज़िलाधीश के सहायक प्रेम कुमार तीन महीने जेल में रह कर जमानत पर बाहर आ चुके हैं। इनका निलंबन भी रद्द हो गया है। इनके खिलाफ सीबीआई आरोप पत्र दायर नहीं कर सकी।

बता दें कि ज़िलाधीश के दस्तखत से जारी मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के 12 करोड़ 20 लाख 15 हजार का चेक यहां की इंडियन बैंक से बाउंस होने के बाद घपले का भेद खुला था। जिसकी पहली एफआईआर 7 अगस्त 2017 को अमरेंद्र कुमार ने ही थाना कोतवाली में लिखवाई थी। इसके बाद ही पटना से आर्थिक अपराध इकाई की टीम आईजी जितेंद्र सिंह गंगवार के नेतृत्व में आई थी। उस वक्त अमरेंद्र कुमार से एसआईटी ने पूछताछ किया था। मगर यह शख्स सर्किट हाउस से पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था। और दो महीने गायब रहा। आखिरकार सीबीआई ने इसे दबोच लिया। सीबीआई सृजन घपले की जांच में तेजी ला रही है। सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की मुख्य किरदार मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और पुत्रबधू और सृजन की मौजूदा सचिव प्रियाकुमार के खिलाफ भी जल्द कार्रवाई करने की बात सूत्र बताते हैं। ये दोनों घपला उजागर होने के बाद से ही फरार हैं। इन्हें एसआईटी भी नहीं ढूंढ पाई थी।