उत्तर प्रदेश के कानपुर में थाना कल्याणपुर में आईआईटी के चार प्रोफेसरों के खिलाफ एयरोस्पेस विभाग के एक प्रोफेसर ने एस-एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज करा दिया है जिसके चलते सुबह से ही आईआईटी परिसर में गहमागहमी का माहौल बना हुआ है। जिन प्रोफेसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ उनके पक्ष में सौ से अधिक प्रोफेसर सामने आ गये और निदेशक से लंबी वार्ता की।प्रोफेसरों ने कहा कि इससे आईआईटी की छवि खराब होती है अगर मुकदमा वापस नहीं हुआ तो शिक्षण बहिष्कार कर दिया जाएगा। वहीं जांच कर रहे क्षेत्राधिकारी राजेश पाण्डेय ने बताया कि जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है उनमें सात साल की सजा का प्रावधान नहीं है। ऐसे में चारों प्रोफसरों की गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। पूरे मामले की विवेचना की जा रही है और जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के एयरोस्पेस विभाग में डा. सुब्रह्मण्यम सडरेला असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं। इससे पहले वह इसी विभाग के छात्र रह चुके है। देर रात सडरेला ने कल्याणपुर थाने में संस्थान के चार प्रोफेसरों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया। इसके साथ ही दुर्व्यवहार, प्रताडऩा और ई-मेल से पीएचडी की डिग्री के प्रति भ्रांति फैलाने का भी आरोप लगाया। जिसके चलते थाने में आईपीसी की धारा 500, 66 डी आईटी एक्ट और एससी-एसटी की धारा डी टू बीए के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया। थाने में चार प्रोफेसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने की खबर पर आईआईटी में सोमवार को सुबह से ही गहमागहमी का माहौल बन गया। जिन प्रोफेसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है उनकी पत्नियों ने आईआईटी निदेशक प्रो. अभय करन्दीकर से मिलकर पूरे मामले को खत्म करने की अपील की। इसके साथ ही संस्थान के सौ से अधिक प्रोफेसरों ने भी निदेशक से मिलकर कहा कि यह सब ठीक नहीं है। इससे संस्थान की छवि खराब हो रही है और प्रो. सडरेला से मिलकर बातचीत की जाये और मुकदमा वापस कराया जाये। वहीं प्रोफसरों ने निदेशक को चेतावनी भी दी कि अगर मामला खत्म नहीं हुआ तो पठन-पाठन कार्य का बहिष्कार कर दिया जाएगा। वहीं निदेशक पूरे मामले को लेकर कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया।

क्या है आरोप: डा. सडरेला की शिकायत के मुताबिक आईआईटी के एयरोस्पेस विभाग में छात्र रहा और जुलाई 2017 में आईआईटी में इसी विभाग के असिस्टेंट प्रोफसर पद के लिए आवेदन किया। जिसके बाद इसी वर्ष 26 दिसंबर को बाहरी विशेषज्ञों ने जांच के बाद उनकी नियुक्ति की सिफारिश की और 28 दिसंबर 2017 को उन्हें नियुक्ति पत्र मिला। इसके बाद एक जनवरी 2018 को उन्होंने एयरोस्पेस विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन किया। जिसके बाद चार जनवरी को एक संगोष्ठी के दौरान प्रो. संजय मित्तल ने व्यंगात्मक व अपमानजनक टिप्पणी की। इसके बाद साजिशन उनकी नियुक्ति को अनुपयुक्त करार दिया जाने लगा और आईआईटी परिसर में भ्रम फैलाया जाने लगा। शिकायत के मुताबिक इसकी शिकायत एससी-एससी आयोग से की गयी थी। जिस पर 10 अप्रैल 2018 को आयोग के अध्यक्ष की अध्यक्षता में सुनवाई हुई और उसी दिन कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए। इसके बाद उपरोक्त प्रोफेसरों ने हाईकोर्ट की शरण ली और उनको वहां से स्टे मिल गया। लेकिन आईआईटी को इस विषय पर जांच करने के भी आदेश मिल गयें। जिसके बाद आईआईटी की बीओजी की रिपोर्ट में नियुक्ति को सही पाया गया और उपरोक्त प्रोफेसरों को दोषी पाया गया पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जिसके चलते पुलिस की सहायता लेनी पड़ी।

इन पर दर्ज हुआ मुकदमा: कल्याणपुर इंस्पेक्टर संतोष कुमार सिंह ने बताया कि डा. सुब्रह्मण्यम सडरेला की तहरीर पर प्रो. ईशान शर्मा, प्रो. संजय मित्तल, प्रो. राजीव शेखर, प्रो. चंद्रशेखर उपाध्याय व एक अज्ञात व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज किया गया है। बताया कि प्रो. ईशान शर्मा आईआईटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर हैं। प्रो. राजीव शेखर आईआईटी कानपुर में मैटीरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर रहे और वर्तमान में आईआईटी आईएसएम के निदेशक हैं। प्रो. चंद्रशेखर उपाध्याय आईआईटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर हैं और प्रो. संजय मिततल भी इसी विभाग में बतौर प्रोफेसर पद पर तैनात हैं।