नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कर्मचारियों के लिए शुरू नई पेंशन स्कीम (NPS) को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश में 1 अप्रैल, 2005 को या उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों की ओर से पेंशन फंड में योगदान को लेकर गंभीर अनियमितता सामने आई है। नए प्रावधानों के तहत इस अवधि के बाद प्रदेश में नियुक्त कर्मचारियों के लिए बेसिक पे का 10% हिस्सा नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड (NSDL)/ ट्रस्टी बैंक के माध्यम से संबंधित फंड मैनेजर को ट्रांसफर करना अनिवार्य किया गया है। प्रदेश सरकार को भी इतनी ही राशि जमा करानी होती है। CAG की छानबीन में वर्ष 2005 से साल 2008 के बीच का आंकड़ा ही नहीं मिला है। ऑडिट एजेंसी का कहना है कि स्टेट अकाउंट के पास इसका डेटा ही उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण इस अवधि को ऑडिट में शामिल नहीं किया जा सका। बता दें कि वर्ष 2005-08 के बीच मायावती और मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ मामलों में तो कर्मचारियों का पैसा कट गया, लेकिन उसे जमा ही नहीं कराया गया।
कुल जमा राशि में भी झोल: CAG द्वारा NPS के ऑडिट में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2008-09 से 2016-17 के बीच कर्मचारियों ने 2,830 करोड़ रुपये का योगदान किया। वहीं, राज्य सरकार की ओर से इस अवधि में 2,247 करोड़ रुपये का योगदान किया गया। इसका मतलब यह हुआ कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस दौरान 583 करोड़ रुपये कम जमा किया। CAG का कहना है कि सरकार ने इस राशि का इस्तेमाल राजस्व को बढ़ा कर पेश करने में किया। इसके अलावा राजकोषीय घाटे को भी कम करके दिखाया गया। वर्ष 2008-09 से 2016-17 के बीच राज्य सरकार और कर्मचारियों को कुल 5,660 करोड़ रुपये NSDL में जमा कराने थे, लेकिन सिर्फ 5,001.71 करोड़ रुपये ही जमा कराए गए। रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2015-16 में कर्मचारियों की ओर से कुल 636.51 करोड़ रुपये का योगदान किया गया था। लेकिन, 2016-17 में यह आंकड़ा कम होकर 199.24 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। CAG के अनुसार, NPS के मद में योगदान के अनियमित ट्रांसफर के कारण ऐसा हुआ है। CAG ने NPS से जुड़ी अनियमितताओं को अविलंब दुरुस्त करने की अनुशंसा की है।
कर्मचारियों को निवेश का नहीं मिला लाभ: CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2005-08 के दौरान कर्मचारियों के वेतन से NSDL में राशि जमा की गई है या नहीं, इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है। यही हाल प्रदेश सरकार की ओर से किए जाने वाले योगदान का भी है। CAG का कहना है कि कर्मचारियों और राज्य सरकार की ओर से किए जाने वाले योगदान को सुनिश्चित न करने से NSDL में भी निवेश नहीं किया जा सका। ऐसे में कर्मचारी निवेश से होने वाले लाभ से भी वंचित हो गए। इतना ही नहीं, 1 अप्रैल, 2005 या उसके बाद नियुक्त राज्य कर्मचारियों को NPS का भी लाभ नहीं मिल सका।