पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के चंदननगर में 80 साल पुरानी एक आलीशान इमारत है। जो आवारा कुत्तों व बिल्लियों का आशियाना है। यहां फिलहाल एक दर्जन जानवर रहते हैं। इनकी देखभाल करने के लिए एक केयरटेकर भी है, जो उनके रहने और खाने का इंतजाम करती हैं। इस आलीशान बंगले को तोड़ कर वहां लोगों के रहने के लिए हाउसिंग कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा और इन कुत्ते-बिल्लियों को बेघर किया जाएगा। स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह इमारत 120 कट्ठे में फैली हुई है और इसकी स्थापत्य शैली भी बेजोड़ है। इन मकान के निर्माण की कहानी भी बहुत दिलचस्प है।

पचास के दशक में बनी थी इमारत
आनंदबाजार पत्रिका में छपी खबर के मुताबिक चालीस के दशक में लंदन से एक अंग्रेज डरिस मैथ्यू चंदननगर में घूमने के लिए आयी थी। यहां उन्होंने कुत्ते-बिल्लियों को आवारा घूमते और खुले में रात गुजारते देखा, तो उनका दिल पसीज गया। उन्होंने 1948 में चंदननगर में 120 कट्ठा जमीन खरीद ली और कुत्ते-बिल्लियों के लिए आशियाना बनवाया। वह खुद भी वहीं रहने लगीं। बाद में इस बिल्डिंग को ‘मेमसाहेब का बंगला’ नाम दे दिया गया। उसी वक्त पशु प्रेमियों को लेकर एक संगठन भी बनाया गया ताकि नियमित तौर पर कुत्ते-बिल्लियों की देखभाल की जा सके। उन्होंने कुत्ते व बिल्लियों की देखभाल के लिए न केवल सुपरवाइजर बल्कि रसोइये, पशु चिकित्सकों आदि की भी नियुक्ति की थी।

अभी 12 कुत्ते-बिल्लियों का है ठिकाना
फिलहाल इस बंगले में 12 कुत्ते-बिल्लियां रहते हैं और उनकी देखभाल केयरटेकर रीता चौधरी करती हैं। उन्होंने बताया कि डरिस मैथ्यू की मृत्यु 28 फरवरी 1982 में हुई थी। उन्होंने कहा कि पहले इस बंगले में बड़ी संख्या में कुत्ते व बिल्लियां रहा करते थे। अब इनकी संख्या कम हो गयी है। बताया जा रहा है कि किसी प्रमोटर ने उक्त जमीन को खरीद लिया और जल्द ही जर्जर इमारत को तोड़ कर उसकी जगह हाउसिंग कॉम्प्लेक्स खड़ा किया जाएगा।